Pope Francis Passes Away: वेटिकन सिटी से एक बेहद दुखद और ऐतिहासिक खबर सामने आई है। दुनिया भर के कैथोलिक ईसाइयों के धर्मगुरु पोप फ्रांसिस का आज सुबह 88 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वेटिकन प्रशासन ने बताया कि उन्होंने स्थानीय समयानुसार सुबह 7 बजकर 35 मिनट पर वेटिकन में अंतिम सांस ली। पोप फ्रांसिस पिछले कुछ महीनों से गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे, जिसमें फेफड़ों का संक्रमण, निमोनिया, एनीमिया और किडनी फेलियर शामिल थे।
पोप फ्रांसिस को 14 फरवरी को इटली के रोम स्थित जेमेली अस्पताल में भर्ती कराया गया था। डॉक्टरों के मुताबिक उनके फेफड़ों में इन्फेक्शन बहुत बढ़ गया था और ब्लड टेस्ट में किडनी के फेल होने के लक्षण सामने आए थे। हालांकि, इलाज के बाद उन्हें 14 मार्च को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी, लेकिन तबीयत में गिरावट जारी रही। आज सुबह उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया।
ऐतिहासिक पोप थे फ्रांसिस
साल 2013 में पोप बनने वाले फ्रांसिस इतिहास के पहले लैटिन अमेरिकी और 1300 वर्षों में पहले गैर-यूरोपीय पोप थे। उनका असली नाम जॉर्ज मारियो बर्गोग्लियो था और वे अर्जेंटीना के फ्लोरेंस शहर में 17 दिसंबर 1936 को जन्मे थे। पोप बनने से पहले वे ब्यूनस आयर्स के आर्कबिशप थे और 2001 में उन्हें कार्डिनल की उपाधि दी गई थी।
पोप के बड़े और ऐतिहासिक निर्णय
पोप फ्रांसिस अपने समय के सबसे प्रगतिशील और संवेदनशील धर्मगुरुओं में माने जाते हैं। उन्होंने कई मुद्दों पर परंपराओं को तोड़ते हुए क्रांतिकारी फैसले लिए। समलैंगिकता पर नरम रुख: उन्होंने कहा था, "अगर कोई समलैंगिक व्यक्ति ईश्वर की तलाश कर रहा है, तो मैं उसे जज करने वाला कौन होता हूं?" पुनर्विवाह को धार्मिक मान्यता: तलाकशुदा कैथोलिक लोगों को चर्च में कम्यूनियन प्राप्त करने की अनुमति दी थी। चर्च में यौन शोषण पर माफी मांगी थी। पहली बार किसी पोप ने बच्चों के यौन शोषण पर माफी मांगी और इसे 'नैतिक मूल्यों की गिरावट' बताया। सेम-सेक्स कपल्स को आशीर्वाद देने का समर्थन: उन्होंने स्पष्ट किया कि समलैंगिक जोड़ों को चर्च का आशीर्वाद मिल सकता है, बशर्ते वह एक पवित्र संबंध हो।
भारत से भी था विशेष संबंध
पोप फ्रांसिस से 2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वेटिकन में मुलाकात की थी। यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की 22 वर्षों बाद पोप से पहली मुलाकात थी। पीएम मोदी ने उन्हें भारत आने का निमंत्रण भी दिया था। इसके बाद G-7 समिट के दौरान दोनों की फिर से भेंट हुई थी।
पोप फ्रांसिस की विरासत
पोप फ्रांसिस ने न केवल चर्च की पारंपरिक छवि को बदला, बल्कि कैथोलिक विश्वासियों में एक नई सोच और विश्वास की लौ जलाई। उन्होंने गरीबी, पर्यावरण और मानवाधिकारों जैसे मुद्दों पर मुखरता से आवाज़ उठाई। उनकी सादगी, संवेदनशीलता और करुणा की मिसालें लंबे समय तक याद रखी जाएंगी।
अंतिम श्रद्धांजलि
दुनियाभर से राजनीतिक, धार्मिक और सामाजिक हस्तियों ने पोप फ्रांसिस के निधन पर शोक व्यक्त किया है। वेटिकन ने अंतिम संस्कार की तैयारियां शुरू कर दी हैं और अनुमान है कि दुनिया भर से लाखों श्रद्धालु उन्हें अंतिम विदाई देने वेटिकन सिटी पहुंचेंगे। न सिर्फ एक धर्मगुरु, बल्कि एक मार्गदर्शक थे पोप फ्रांसिस, जिनकी आवाज़, सोच और सेवा आने वाली कई पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।