Test Cricket: टेस्ट क्रिकेट को और रोमांचक बनाने के लिए इंग्लैंड के दो दिग्गजों ने अनोखे सुझाव दिए हैं, यदि लागू किए जाएं तो ये सुझाव खेल के इस सबसे पुराने प्रारूप में नया जोश भर सकते हैं। पूर्व कप्तान एलिस्टेयर कुक ने नई गेंद के नियम में बदलाव की वकालत की है। उन्होंने सुझाव दिया कि मौजूदा 80 ओवर के बाद नई गेंद लेने के नियम को हटाकर टीमें 160 ओवर के भीतर कभी भी नई गेंद ले सकें।
एक पॉडकास्ट में कुक ने कहा, "160 ओवर में आपको दो नई गेंदें मिलें और आप चाहें तो 30वें ओवर में भी दूसरी गेंद ले सकते हैं।" उनका मानना है कि इससे गेंदबाजों को रणनीतिक आजादी मिलेगी और बल्लेबाजों व गेंदबाजों के बीच संतुलन बढ़ेगा। यह बदलाव टेस्ट क्रिकेट को और रोमांचक बना सकता है खासकर उन पिचों पर जहां गेंद जल्दी पुरानी हो जाती है।
वहीं, इंग्लैंड के ही एक और पूर्व कप्तान माइकल वॉन ने चोटिल खिलाड़ियों के लिए सब्स्टीट्यूट नियम की मांग उठाई है। उन्होंने हाल की भारत-इंग्लैंड टेस्ट सीरीज का जिक्र करते हुए ऋषभ पंत का उदाहरण दिया, जिन्होंने पैर में फ्रैक्चर के बावजूद बल्लेबाजी की थी। वॉन ने कहा, "अगर कन्कशन के लिए सब्स्टीट्यूट खिलाड़ी उतारा जा सकता है तो अन्य गंभीर चोटों के लिए क्यों नहीं?" उनका तर्क है कि क्रिकेट में फुटबॉल की तरह चोट के लिए सब्स्टीट्यूट का नियम होना चाहिए ताकि खिलाड़ी की सुरक्षा और खेल की गुणवत्ता बनी रहे। वॉन का यह सुझाव खिलाड़ियों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देता है क्योंकि चोट के साथ खेलना जोखिम भरा हो सकता है।
कुक का सुझाव गेंदबाजी रणनीति को और लचीला बनाएगा। अभी 80 ओवर बाद नई गेंद अनिवार्य है, लेकिन अगर टीमें जल्दी गेंद बदल सकें तो स्पिनरों और तेज गेंदबाजों के बीच बेहतर तालमेल देखने को मिलेगा। खासकर उन पिचों पर जहां गेंद जल्दी घिस जाती है, यह नियम गेम चेंजर हो सकता है।
कुक ने 2018 में टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लिया था, वह मानते हैं कि यह बदलाव टेस्ट क्रिकेट की लोकप्रियता बढ़ाएगा क्योंकि दर्शकों को ज्यादा नाटकीय मोड़ देखने को मिलेंगे। दूसरी ओर वॉन का सुझाव खिलाड़ियों की सुरक्षा को ध्यान में रखता है जो आधुनिक क्रिकेट में जरूरी है। हाल ही में कई खिलाड़ी चोट के बावजूद खेलते दिखे थे जिससे दीर्घकालिक नुकसान का खतरा रहता है।
इन सुझावों ने क्रिकेट प्रेमियों में नई बहस छेड़ दी है। कुछ फैंस कुक के विचार से उत्साहित हैं, क्योंकि यह गेंदबाजों को नई आजादी देगा, जबकि कुछ को लगता है कि इससे बल्लेबाजों पर दबाव बढ़ेगा। वॉन का सब्स्टीट्यूट नियम भी चर्चा में है क्योंकि यह खिलाड़ियों की फिटनेस और करियर को लंबा करने में मदद कर सकता है। अगर ICC इन सुझावों पर विचार करता है तो टेस्ट क्रिकेट में नया रंग देखने को मिल सकता है। क्या ये बदलाव वाकई टेस्ट क्रिकेट का क्रेज बढ़ा देंगे? यह तो समय ही बताएगा, लेकिन कुक और वॉन ने निश्चित रूप से एक नई बहस को जन्म दे दिया है।