Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि किसी को मिया-टियां या पाकिस्तानी कहना अपराध नहीं है। कोर्ट ने कहा कि भले ही किसी को मिया-टियां या पाकिस्तानी कहना गलत हो सकता है लेकिन यह आईपीसी की धारा 298 के तहत धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला अपराध नहीं है।
दरअसल, झारखंड के बोकारो सेक्टर 4 थाने में चास के सब डिविजनल कार्यालय में तैनात उर्दू ट्रांसलेटर और क्लर्क ने दर्ज कराया था। उसका आरोप था कि जब वह एडिशनल कलेक्टर के आदेश पर एक आरटीआई का जवाब व्यक्तिगत तौर पर देने के लिए पहुंचा था तो काफी बहस करने के बाद आरोपी ने दस्तावेज स्वीकार किए थे। इस दौरान उसने धर्म आधारित टिप्प्णी कर अपमानित करने का काम किया था।
उर्दू ट्रांसलेटर ने इसके खिलाफ बोकारो के चास थाने में मामला दर्ज कराया था। मामला कोर्ट पहुंचा और 80 साल के आरोपी को नीचली अदालत से लेकर हाई कोर्ट तक से राहत नहीं मिल सकी। झारखंड हाई कोर्ट से राहत नहीं मिलने के बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। अब सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस मामले में बल प्रयोग या शांति भंग करने जैसी कोई बात सामने नहीं आई है। जहां तक मिया-टियां या पाकिस्तानी कहने की बात है, उसके आधार पर धारा 298 लगाना सही नहीं था।
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए इस मामले में आरोपी को आरोपमुक्त कर दिया। कोर्ट ने कहा कि अपीलकर्ता पर आरोप है कि उसने शख्स को मियां-टियां और पाकिस्तानी कहकर उसकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई है लेकिन यह कहना गलत हो सकता है लेकिन अपराध की श्रेणी में नहीं आता है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने 11 फरवरी को यह फैसला सुनाया था।