Success Story: कहते हैं मन में कुछ कर गुजरने की इच्छा शक्ति हो तो शारीरिक अक्षमता भी आड़े नहीं आती है। अपनी मेहनत के बल पर कानपुर के रहने वाले दिव्यांग अनंत वैश्य ने भी कुछ ऐसा ही कर दिखाया है। कानपुर के 22 साल के अनंत वैश्य ने एक ऐसा ऐप बनाया है जो दिव्यांग को शिक्षित करता है, उन्हें पढ़ाता है। अनंत खुद एक जटिल बीमारी से ग्रसित हैं।
अनंत ने शारीरिक कमजोर होने के चलते ऐसे ऐप को तैयार किया है जो उन बच्चों और लोगों के लिए मील का पत्थर साबित हो रहा है जिसमें सुनने, देखने और बोलने के साथ हाथ पैर से दिव्यांग कहा जाता है। इस ऐप से तमाम लोग शिक्षित हो रहे हैं और अपने भविष्य की राह को आसान बना रहे हैं। पूरी दुनिया में शायद ही आपने ऐसे अनोखे ऐप के बारे में सुना होगा, जो कानपुर के अनंत ने बनाया है, जो किसी भी तरह के दिव्यांग को शिक्षित करने में बड़ा कारगर साबित हो रहा है।
अनंत वैश्य आर्थो ग्रायफोसेस मल्टीप्लेक्स कन्जनाइटा नामक बीमारी से खुद ग्रसित हैं। लेकिन इसके बावजूद उन्होंने कई अवॉर्ड जीते और अपने इनोवेशन से देश दुनिया का नाम रौशन किया। अनंत ने द स्पेशल स्कूल नाम से एक एप्लिकेशन तैयार की है जिसे प्ले स्टोर पर इंस्टॉल करने के बाद बिना किसी सहारे के कोई भी दिव्यांग फिर चाहे वो किसी भी श्रेणी का हो पढ़ाई कर सकता है। अगर किसी को दिखाई नहीं देता तो इस ऐप को एक बार मोबाइल में इंस्टॉल करने के बाद वो इससे पढ़ सकता है। हर विषय की जानकारी इस एप्लिकेशन में लोड है और मोबाइल को बस आपको इतना बोलना होगा की आपको कौन सा विषय और किस क्लास का पढ़ना है। बस आपकी जुबान के कमांड को लेकर मोबाइल ऐप चलने लगा जाएगी और स्पीकर पर आपको पढ़ाने लगेगी।
जिन्हें सुनाई नहीं देता उन दिव्यांगों को मोबाइल ऐप आकृति, चिन्ह और लिखे हुए शब्दों में पढ़ाता है। ये ऐप क्लास वन से 5वीं तक की पढ़ाई एनसीईआरटी के सिलेबस के अनुसार कराने में सक्षम है। इस ऐप से तकरीबन 400 बच्चे आज भी पढ़ाई कर रहे हैं। कानपुर के तीन स्कूल जो शारीरिक असक्षम बच्चों के हैं, वहां इस ऐप का प्रयोग किया जाता है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने इस ऐप को प्रमाणित भी किया और इसके विस्तार के लिए अनंत को फंडिंग भी की साथ ही इंडियन इनोवेशन डिपार्टमेंट की ओर से भी अनंत को सराहा गया।