Forced Religious Conversion Law: भारत में जबरन, धोखे या लालच देकर कराए जाने वाले धर्म परिवर्तन को लेकर कई राज्यों ने सख्त कानून बनाए हैं। इन कानूनों का उद्देश्य कमजोर वर्गों, जैसे कि नाबालिग, महिलाएं और अनुसूचित जाति/जनजाति के लोगों को जबरन धर्म परिवर्तन से बचाना है। इस मामले में सबसे सख्त कानून फिलहाल उत्तर प्रदेश का माना जाता है, जहां 2021 में लागू हुए कानून को 2024 में और भी कठोर बना दिया गया है। उत्तर प्रदेश में अवैध धर्मांतरण के मामलों में अधिकतम 14 साल की जेल और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। यदि पीड़ित नाबालिग, महिला या SC/ST समुदाय से है, तो आरोपी को 20 साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा दी जा सकती है। ये अपराध गैर-जमानती होते हैं, यानी आसानी से जमानत नहीं मिलती।
वहीं, राजस्थान सरकार ने भी एक नया, और भी सख्त कानून लाने की तैयारी कर ली है। प्रस्तावित राजस्थान विधिविरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक, 2025 के तहत जबरन, छल या विवाह के माध्यम से धर्म परिवर्तन कराने पर 7 से 14 साल की जेल और कम से कम 5 लाख रुपये जुर्माना हो सकता है। यदि पीड़ित कोई नाबालिग लड़की या SC/ST समुदाय का व्यक्ति है, तो सजा 10 से 20 साल और जुर्माना 10 लाख रुपये तक हो सकता है। सामूहिक धर्मांतरण कराने पर 20 साल से लेकर उम्रकैद और 25 लाख रुपये तक जुर्माना देने का प्रावधान है।
अन्य राज्यों की बात करें तो हरियाणा में जबरन धर्मांतरण पर 1 से 5 साल की सजा और 1 लाख रुपये जुर्माना है। यदि पीड़ित नाबालिग या अनुसूचित जाति/जनजाति से है, तो सजा 2 से 10 साल और जुर्माना 3 लाख रुपये तक हो सकता है। मध्य प्रदेश में इस अपराध के लिए 10 साल तक की कैद और 1 लाख रुपये तक का जुर्माना है। ओडिशा में यह कानून सबसे पुराना और अपेक्षाकृत हल्का है, जहां सजा सिर्फ 1 साल की जेल और 5,000 रुपये जुर्माने से शुरू होती है, जबकि यदि पीड़ित कमजोर वर्ग से है तो 2 साल की जेल और 10,000 रुपये जुर्माना हो सकता है।
इन सभी कानूनों का मकसद जबरन या धोखे से कराए जा रहे धर्म परिवर्तन पर रोक लगाना है, और खास तौर पर कमजोर वर्गों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। उत्तर प्रदेश और राजस्थान इन कानूनों को लेकर सबसे सख्त रुख अपनाने वाले राज्यों में शामिल हैं।