S-400 Missile defence system: पाकिस्तान द्वारा भारतीय सैन्य ठिकानों पर किए गए मिसाइल और ड्रोन हमलों को भारत ने कड़ी निगरानी और जबरदस्त रणनीतिक तैयारी से विफल कर दिया। भारतीय वायुसेना ने रूस से प्राप्त अत्याधुनिक S-400 ट्रायम्फ मिसाइल डिफेंस सिस्टम का इस्तेमाल करते हुए पाकिस्तान की कोशिशों को पूरी तरह नाकाम कर दिया।
यह कार्रवाई तब हुई जब एक दिन पहले भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में मौजूद कुल 9 आतंकी शिविरों पर सटीक हमले किए थे। जवाब में पाकिस्तान ने मिसाइलों से हमले की कोशिश की, लेकिन भारत की S-400 प्रणाली ने इन सभी हमलों को हवा में ही नष्ट कर दिया।
इस हमले में भारत के पास मौजूद रूसी निर्मित एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम का अहम योगदान रहा।बता दे कि भारत ने अक्टूबर 2018 में 39,000 करोड़ रुपये की लागत से इस प्रणाली की पांच यूनिट का ऑर्डर दिया था। उस समय इस सौदे को लेकर अंतरराष्ट्रीय और घरेलू स्तर पर काफी दबाव था, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने अपने फैसले पर अडिग रहते हुए इस डील को अंतिम रूप दिया।
S-400 की क्षमता की बात करें तो यह सिस्टम 400 किलोमीटर की दूरी तक आने वाली किसी भी हवाई चुनौती को नष्ट करने में सक्षम है। भारत के पास फिलहाल तीन यूनिट मौजूद हैं, जबकि रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते बाकी दो यूनिट की आपूर्ति में देरी हो रही है।
क्या है S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम?
S-400 ट्रायम्फ, रूस द्वारा विकसित किया गया दुनिया का सबसे शक्तिशाली सतह से हवा में मार करने वाला (SAM) रक्षा तंत्र है। इसकी कुछ प्रमुख विशेषताएं:
रेंज: यह प्रणाली 400 किलोमीटर दूर तक के टारगेट को नष्ट कर सकती है।
स्पीड: S-400 मिसाइलें 4.8 मैक (ध्वनि की गति से लगभग 5 गुना तेज) की रफ्तार से उड़ती हैं।
कवरेज: एक साथ 80 टारगेट पर नज़र रखने और 36 को एक साथ निशाना बनाने में सक्षम।
टारगेट: दुश्मन के एयरक्राफ्ट, ड्रोन, क्रूज मिसाइल और बैलिस्टिक मिसाइल – सभी प्रकार के हवाई खतरों से रक्षा करने में सक्षम।
क्यों खास है यह सफलता?
भारतीय सुरक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, यह पहली बार है जब भारत ने ऑपरेशनल स्तर पर S-400 सिस्टम का उपयोग करते हुए किसी हमले को सफलतापूर्वक निष्क्रिय किया है। इससे यह स्पष्ट हो गया है कि भारत अब सिर्फ रक्षात्मक नहीं, बल्कि निर्णायक रणनीति अपनाने की स्थिति में है। भारतीय वायुसेना और रक्षा मंत्रालय ने इस कार्रवाई को देश की संप्रभुता की रक्षा और दुश्मन को कड़ा संदेश देने वाला कदम बताया है।