RSS: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने 27 जुलाई को केरल के कोच्चि में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा आयोजित शिक्षा सम्मेलन में छात्रों को संबोधित करते हुए कहा है कि भारत को अब ‘सोने की चिड़िया’ नहीं, बल्कि ‘शेर’ बनना है। उन्होंने जोर देकर कहा है कि दुनिया केवल शक्ति की भाषा समझती है और भारत को वैश्विक मंच पर सम्मान और सुरक्षा के लिए शक्तिशाली बनना होगा।
भागवत ने इस दौरान शिक्षा के उद्देश्य पर बल देते हुए कहा है कि इसका लक्ष्य केवल नौकरी दिलाना नहीं, बल्कि व्यक्तियों को आत्मनिर्भर और हर परिस्थिति में दृढ़ता से सामना करने में सक्षम बनाना होना चाहिए। भागवत ने भारतीय शिक्षा प्रणाली की प्राचीन परंपराओं का उल्लेख करते हुए कहा कि यह दूसरों के लिए जीने और बलिदान की भावना को प्रोत्साहित किया करती थी।
उन्होंने आधुनिक शिक्षा पर चिंता जताई है कि यदि यह स्वार्थ को बढ़ावा देती है तो यह सच्ची शिक्षा नहीं है। शिक्षा को व्यक्ति को न केवल आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनाना चाहिए, बल्कि नैतिक और सामाजिक मूल्यों से भी जोड़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में शिक्षा का लक्ष्य व्यक्ति को समाज और राष्ट्र के लिए योगदान देने वाला बनाना है।
मोहन भागवत ने ‘भारत’ नाम की पहचान पर विशेष जोर दिया है। उन्होंने कहा कि ‘भारत’ एक व्यक्तिवाचक संज्ञा है, जिसका अनुवाद ‘इंडिया’ के रूप में नहीं करना चाहिए क्योंकि यह इसकी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक गरिमा को कम करता है। साथ ही भागवत ने चेतावनी भी दी कि अपनी पहचान खो देने से कोई भी देश, चाहे उसके पास कितने ही गुण हों, वैश्विक सम्मान और सुरक्षा हासिल नहीं कर सकता।