Bengaluru Stampede: बेंगलुरु के प्रतिष्ठित एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम में रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (RCB) की जीत का जश्न एक दर्दनाक हादसे में तब्दील हो गया, जब भारी भीड़ के कारण भगदड़ मच गई। इस भीषण हादसे में 11 लोगों की मौत हो गई, जबकि 30 से अधिक घायल हो गए। मृतकों में सबसे कम उम्र की दिवांसी केवल 13 वर्ष की थी और सबसे अधिक उम्र के मनोज 33 वर्ष के थे। हादसे में कई छात्र-छात्राएं, युवा कामकाजी लोग और स्थानीय निवासी शामिल हैं।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हादसा उस समय हुआ जब फ्री पास की सूचना और सोशल मीडिया पर फैली 'विक्ट्री परेड' की घोषणा ने हजारों की संख्या में क्रिकेट प्रेमियों को स्टेडियम की ओर खींचा। RCB प्रबंधन ने दोपहर 3:14 बजे 'X' (पूर्व में ट्विटर) पर जश्न की जानकारी साझा की थी, जिसमें 5 बजे विजय जुलूस और स्टेडियम में सम्मान समारोह का जिक्र था। जबकि बेंगलुरु ट्रैफिक पुलिस ने पहले ही सुबह 11:56 बजे स्पष्ट कर दिया था कि कोई परेड नहीं होगी और केवल स्टेडियम में कार्यक्रम होगा। इस भ्रम ने स्थिति को और भयावह बना दिया।
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने बताया कि स्टेडियम की क्षमता जहां 35,000 लोगों की है, वहीं आसपास 2 से 3 लाख लोग एकत्र हो गए थे। छोटे-छोटे गेटों से जबरन घुसने की कोशिश के दौरान कई लोग दब गए और ऊपर भीड़ चढ़ गई, जिससे कई लोगों की जान चली गई। अस्पतालों में भर्ती घायलों में से 14 वायदेही, 18 बोरिंग, 5 स्पर्श और 3 मणिपाल अस्पताल में इलाजरत हैं।
पुलिस के अनुसार, बिना टिकट प्रवेश की कोशिश कर रही भीड़ को नियंत्रित करने के लिए हल्का बल प्रयोग करना पड़ा। कुछ वीडियो फुटेज में पुलिस को लाठीचार्ज करते हुए भी देखा गया है। भीड़ को देखते हुए बेंगलुरु मेट्रो ने कुछ स्टेशनों (क्यूबन पार्क और डॉ. बी.आर. अंबेडकर) पर ट्रेनें नहीं रोकीं।
मुख्यमंत्री ने हादसे की जांच के आदेश दे दिए हैं और इसे प्रशासनिक अव्यवस्था का प्राथमिक मामला माना है। उन्होंने कहा कि इतनी बड़ी संख्या में लोगों के एकत्र होने की किसी को कल्पना नहीं थी। उन्होंने यह भी बताया कि विधान सौधा में एक लाख से अधिक लोग मौजूद थे, लेकिन वहां कोई हादसा नहीं हुआ, जबकि स्टेडियम में हालात नियंत्रण से बाहर हो गए।
इस हादसे ने कई अहम सवाल खड़े कर दिए हैं। इतने बड़े आयोजन के लिए क्या कोई सुरक्षा योजना थी? आयोजकों और प्रशासन के बीच बेहतर समन्वय क्यों नहीं हुआ? सोशल मीडिया पर फ्री पास और परेड की अफवाहों को लेकर समय रहते स्पष्ट सूचना क्यों नहीं दी गई? यह घटना सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि आयोजनों की सुरक्षा, योजना और जिम्मेदारी को लेकर एक चेतावनी है। आने वाले समय में ऐसे आयोजनों के लिए स्पष्ट रणनीति, भीड़ प्रबंधन और पारदर्शिता बेहद आवश्यक है ताकि उत्सव कभी त्रासदी में न बदले।