Bihar Politics: बिहार की राजनीति में कभी लालू यादव के सबसे करीबी रहे पूर्व सांसद डॉ. रंजन प्रसाद यादव की राजद में औपचारिक वापसी हो गई है। राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने उन्हें मंगलवार को पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी का सदस्य नियुक्त किया, जो पार्टी की सर्वोच्च निर्णयात्मक इकाई मानी जाती है।
रंजन यादव ने लालू-राबड़ी के शासनकाल में शुरुआती वर्षों में बड़े पद या जिम्मेदारी के बिना ही महत्वपूर्ण फैसलों में केंद्रीय भूमिका निभाई। विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति, शिक्षा नीति से जुड़े फैसले और नौकरशाही पर उनकी मजबूत पकड़ ने उन्हें अघोषित शिक्षा मंत्री जैसा बना दिया था।
जनता दल के विभाजन के बाद जब राजद का गठन हुआ, तो लालू यादव अध्यक्ष और रंजन यादव कार्यकारी अध्यक्ष बनाए गए। राबड़ी देवी मुख्यमंत्री बनीं और लालू यादव चारा घोटाले में कानूनी संकट में उलझे रहे। इन्हीं दिनों पार्टी में यह चर्चा गर्म हो गई कि रंजन यादव मुख्यमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा पालने लगे हैं। इन खबरों ने लालू यादव को संदेह में डाल दिया।
नतीजतन, रंजन यादव को कार्यकारी अध्यक्ष पद से हटा दिया गया और दोनों नेताओं के बीच कटुता चरम पर पहुंच गई। उन्होंने दोबारा राजद से संपर्क साधा और अब उन्हें राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य बनाया गया है हालांकि, उनकी उम्र 80 वर्ष हो चुकी है, इसलिए चुनावी राजनीति में सक्रिय वापसी की संभावना बहुत कम है, लेकिन पार्टी संगठन में उनकी वापसी को सियासी संकेतों और पुराने रिश्तों की पुनर्स्थापना के रूप में देखा जा रहा है।