RAMGADH:झारखंड के रामगढ़ जिले में आज शनिवार को खौफनाक हादसे में चार ग्रामीणों की मौत हो गई, जबकि छह लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। यह हादसा करमा परियोजना की खुली कोयला खदान में उस समय हुआ,जब ग्रामीण अवैध रूप से कोयला निकाल रहे थे तभी अचानक खदान की चाल धंस गई। जिसके मलबे में 12 लोग दब गए। यह क्षेत्र कुजू प्रक्षेत्र में आता है और खदान का संचालन सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (CCL) द्वारा किया जाता है।
यह दर्दनाक घटना शनिवार सुबह करीब 7 बजे हुई जबमहुआटुंगरी के पास स्थित सुगिया खदान में हुई। स्थानीय लोगों की माने तो रोजाना की तरह कुछ ग्रामीण अवैध रूप से कोयला निकालने खदान में पहुंचे थे। उसी दौरान अचानक मलबा धंस गया और कई वो लोग उसमें दब गए। इस हादसे में चार लोगों की मौत हो गयी है। वही आधा दर्जन लोग घायल हो गये हैं। मृतकों की पहचान 42 वर्षीय निर्मल मुंडा, 55 वर्षीय वकील करमाली, 38 वर्षीय इम्तियाज अंसारी उर्फ लालू और 35 वर्षीय रामेश्वर मांझी के रूप में हुई है।
जबकि घायलों की पहचान 35 वर्षीया रोजिदा खातून, 40वर्षीया सरिता देवी, 22 वर्षीय अरुण मांझी व अन्य के रूप में हुई है। सभी घायलों का इलाज विभिन्न अस्पतालों में चल रहा है। घटना के बाद पूरे इलाके में आक्रोश और शोक का माहौल बन गया। स्थानीय ग्रामीण और मजदूर संगठनों ने तीन शवों को करमा परियोजना कार्यालय के बाहर रखकर प्रदर्शन शुरू किया और 20 लाख मुआवजा और घायलों को 5 लाख देने की मांग की है। वही सीसीएल प्रबंधन पर हत्या का मामला दर्ज और दोषियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई करने की भी बात कही।
घटना को लेकर ग्रामीणों ने CCL प्रबंधन और सुरक्षा कर्मियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। एक घायल के परिजन ने कहा कि खदान में कोई बैरिकेटिंग नहीं है। सुरक्षा का कोई प्रबंध नहीं। CCL की मिलीभगत से ग्रामीणों को कोयला निकालने दिया जाता है। स्थानीय नागरिकों और मजदूर संगठनों का कहना है कि DGMS (Directorate General of Mines Safety) के दिशा-निर्देशों का लगातार उल्लंघन किया जा रहा है। खदान में ब्लास्टिंग और ओवरबर्डन हटाने के बावजूद सुरक्षा मानकों की घोर अनदेखी की जा रही है।
घटना के घंटों बाद तक सीसीएल प्रबंधन या जिला प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया था। हालांकि CCL के सुरक्षा प्रभारी हेमंत कुमार ने पुष्टि की है कि चार लोगों की मौत हुई है। जिला प्रशासन ने प्राथमिक जांच शुरू कर दी है, लेकिन अब तक किसी अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की सूचना नहीं है। रामगढ़ और उसके आसपास के कोयलांचल क्षेत्रों में अवैध खनन कोई नई बात नहीं है। वर्षों से बंद पड़ी खदानों में कोयला माफियाओं और स्थानीय लोगों की मिलीभगत से अवैध खनन जारी है। बता दें कि 2019 में करकट्टा खदान में चाल धंसने की पूर्व चेतावनी भी दी गई थी, लेकिन उसे नजरअंदाज कर दिया गया। झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) नेता रमेश मुंडा ने इस घटना को सीसीएल की आपराधिक लापरवाही बताया और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की। कहा कि यह सीसीएल और खदान माफियाओं की मिलीभगत का नतीजा है। सरकार को अविलंब जांच कर कार्रवाई करनी चाहिए।