Ram Gopal Varma: 11 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर से सभी आवारा कुत्तों को 8 सप्ताह के भीतर शेल्टर होम में भेजने का आदेश दिया था, जिसके बाद इस मुद्दे पर देश भर में तीखी बहस छिड़ गई है। ऐसे में अब फिल्म निर्माता राम गोपाल वर्मा ने इस फैसले का समर्थन करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर डॉग लवर्स पर तंज कसा है। उन्होंने 16-17 अगस्त को कई पोस्ट में लिखा है कि जो लोग कुत्तों के लिए सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ चिल्ला रहे हैं, वे तब कहां थे जब आवारा कुत्तों ने एक चार साल की बच्ची को दिनदहाड़े मार डाला। वर्मा ने कहा, “हर साल हजारों लोग कुत्तों के हमलों का शिकार होते हैं। क्या आपका प्यार सिर्फ दुम हिलाने वालों के लिए है? मैं भी कुत्तों से प्यार करता हूं, लेकिन अपने घर में, न कि सड़कों पर जहां वे गरीब बच्चों की जान लेते हैं।”
वर्मा ने अपने तीखे तंज में अमीर-गरीब के बीच वर्ग विभाजन पर भी सवाल उठाए। उन्होंने लिखा, “कुत्तों का आतंक आपके आलीशान बंगलों में नहीं, बल्कि झुग्गी-झोपड़ियों और गलियों में है, जहां गरीब बच्चे नंगे पैर खेलते हैं और कोई गेट उनकी रक्षा नहीं करता।” उन्होंने डॉग लवर्स को चुनौती दी कि अगर वे कुत्तों से इतना प्यार करते हैं तो उन्हें गोद लेकर अपने घरों में रखें, न कि सड़कों पर छोड़ें जहां वे दूसरों की जान खतरे में डालते हैं। वर्मा ने यह भी कहा कि गरीबों को अमीरों की भावुकता की कीमत अपने खून से नहीं चुकानी चाहिए। उनके ट्वीट्स में एक वीडियो भी साझा किया गया, जिसमें एक बच्चे पर कुत्तों के हमले को दिखाया गया, जिसने सोशल मीडिया पर बहस को और गर्म कर दिया है।
ज्ञात हो कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का आधार कुत्तों के हमलों और रेबीज के बढ़ते मामलों को बताया गया था। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में कहा कि 2024 में देश में 37 लाख कुत्तों के काटने के मामले दर्ज हुए, यानी रोजाना करीब 10,000 घटनाएं। रेबीज से होने वाली मौतों की संख्या 305 थी और विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार यह आंकड़ा और अधिक हो सकता है। कोर्ट ने निर्देश दिया है कि शेल्टर होम में पेशेवर कर्मचारी, नसबंदी, टीकाकरण और सीसीटीवी की व्यवस्था हो और किसी को कुत्तों को गोद लेने की अनुमति न दी जाए ताकि वे सड़कों पर न लौटें। हालांकि, पशु कल्याण संगठनों और कई सेलेब्स ने इस फैसले को अव्यावहारिक और क्रूर बताया है, क्योंकि दिल्ली में केवल 1,000 कुत्तों के लिए शेल्टर हैं, जबकि यहाँ अनुमानित 10 लाख आवारा कुत्ते हैं।
अब इस विषय पर वर्मा की टिप्पणियों ने सोशल मीडिया पर मिश्रित प्रतिक्रियाएं बटोरीं हैं। कुछ यूजर्स ने उनकी बात का समर्थन किया है यह कहते हुए कि मानव सुरक्षा पहली प्राथमिकता होनी चाहिए, जबकि अन्य ने इसे पशु क्रूरता का समर्थन बताया है। 14 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने इस मामले में सुनवाई की और फैसला सुरक्षित रखा है। यह कहते हुए कि मानवीय पीड़ा और पशु प्रेम के बीच संतुलन की जरूरत है। वर्मा ने अपनी पोस्ट में यह भी सवाल उठाया कि अगर कुत्ता मारता है तो उसे दुर्घटना कहते हैं, लेकिन अगर इंसान मारता है तो हत्यारा। उन्होंने समाज से मानवता को प्राथमिकता देने की अपील की है।