Premanand Maharaj: वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज जी अपने अद्भुत ज्ञान और सकारात्मक ऊर्जा के लिए जाने जाते हैं। वे अपने प्रवचनों के माध्यम से लोगों को आध्यात्मिक मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं। उनके प्रवचनों के दौरान अक्सर लोग ऐसे प्रश्न भी पूछ लेते हैं जो हमारे मन में भी कभी न कभी उठते हैं।
ऐसे ही एक बार एक भक्त ने प्रेमानंद महाराज से पूछा कि आपने तो भगवान शिव के साक्षात दर्शन किए हैं, कृपया बताइए कि वे कैसे दिखते हैं? इस प्रश्न पर प्रेमानंद महाराज ने अत्यंत मधुर और गूढ़ उत्तर दिया। उन्होंने कहा, जब बेटे को देख लेते हैं तो बाप का अनुमान लग जाता है। हम तो उनके बच्चे हैं, शरणागत हैं, दास हैं। वे ‘कर्पूर गौरं’ हैं उज्ज्वल, शांत और अलौकिक। उनकी जटाएं विशाल हैं, हमारी तो बहुत छोटी। उनके रूप का वर्णन हमारी वाणी की क्षमता से परे है।
प्रेमानंद महाराज ने आगे कहा कि भगवान शिव सौंदर्य के समुद्र हैं। जिस तरह उनका रौद्र रूप प्रभावशाली है, उसी तरह उनका शांत और सुंदर रूप भी अवर्णनीय है। “कर्पूर गौरं करुणावतारं” शिव जी इतने सुंदर हैं कि उस सुंदरता का कोई शब्द नहीं है। उन्होंने समझाया कि जितने भी शब्द हमारे पास हैं, वे सब प्राकृतिक हैं, जबकि भगवान शिव "चिदानंद" हैं चेतना और आनंद से परिपूर्ण।
उन्होंने कहा कि ऐसे चिदानंद स्वरूप को किसी प्राकृतिक भाषा में बांधा नहीं जा सकता। अंत में उन्होंने कहा कि शिव जी इतने मनमोहक हैं कि उनके दर्शन मात्र से मन नाच उठता है। जो भी इस अनुभव को पाना चाहता है, उसे निरंतर नाम जप करना चाहिए।