देवघर जिले के उखरिया, धनपड़ी, धमनी, तुलसी डाबर, नीलामत डीह और तिलैया जैसे गांवों में रहने वाले माल पहाड़िया जनजाति के लोगों को आवास, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि इन लोगों का जाति प्रमाण पत्र भी सही ढंग से नहीं बनाया जा रहा, जिससे वे सरकारी लाभों से वंचित हो रहे हैं।
स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता बेलिया देवी ने बताया कि प्रशासन पहाड़िया समाज के पुजर, नैय्या, डेहरी और सिंग उपनाम वाले लोगों को अनुसूचित जाति में डाल रहा है, जबकि वे आदिम जनजाति से ताल्लुक रखते हैं। इसके कारण उन्हें सरकारी सहायता और विशेष योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा।
देवघर जिले के कल्याण विभाग के अधिकारी दयानंद दुबे के अनुसार, इस समस्या को राज्य सरकार के समक्ष उठाया गया है, लेकिन अब तक कोई ठोस समाधान नहीं निकला है। पहाड़िया जनजाति के लोग प्रशासन से उनकी पहचान बरकरार रखने और सरकारी योजनाओं का लाभ सुनिश्चित करने की मांग कर रहे हैं।