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Cyber Attacks: ऑपरेशन सिंदूर के बाद केंद्र ने जारी किया साइबर सुरक्षा SOP, बढ़ाई सतर्कता

Cyber Attack: ऑपरेशन सिंदूर के बाद देशभर में सरकारी प्रतिष्ठानों पर साइबर हमलों की आशंका को देखते हुए केंद्र सरकार ने सतर्कता बढ़ा दी है। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने सभी राज्यों को साइबर सुरक्षा से जुड़े एक मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) जारी की है, जिसका अनुपालन अनिवार्य कर दिया गया है। मंत्रालय ने कहा है कि बढ़ते साइबर खतरों को देखते हुए यह समय की जरूरत है कि हर राज्य और जिला पूरी तैयारी के साथ संभावित साइबर हमलों का मुकाबला करे।

मंत्रालय ने निर्देश दिया है कि प्रत्येक राज्य साइबर क्राइसिस मैनेजमेंट सिस्टम (Cyber Crisis Management System) विकसित करे, जिसमें आईटी सचिव, साइबर एक्सपर्ट्स, और अन्य तकनीकी विशेषज्ञ शामिल होंगे। सभी जिलों को निर्देश दिया गया है कि वे एक नोडल अधिकारी नियुक्त करें, जो इस प्रणाली का संचालन और निगरानी करेगा।

एसओपी में स्पष्ट किया गया है कि सरकार के महत्वपूर्ण आंकड़े, सूचनाएं और दस्तावेज साइबर हमलों के दौरान खतरे में पड़ सकते हैं, इसलिए इनकी हार्ड कॉपी भी सुरक्षित रखी जाए। मंत्रालय ने कहा है कि साइबर हमले की स्थिति में डिजिटल डेटा की क्षति होने पर हार्ड कॉपी से उसकी भरपाई की जा सकेगी।

केंद्र के निर्देशों के बाद राज्य सरकारों ने भी हर विभाग को अपने आईटी सिस्टम और सुरक्षा उपकरणों की जांच कराने के निर्देश दिए हैं। इसके अलावा सभी जिलों को कहा गया है कि वे अपने-अपने साइबर क्राइसिस मैनेजमेंट प्लान (CCMP) तैयार कर मुख्यालय को उसकी रिपोर्ट दें।

साइबर हमलों से प्रभावी तरीके से निपटने के लिए सभी संबंधित अधिकारियों को सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (IT Act), सोशल मीडिया ब्लॉकिंग कानून, और अन्य संबंधित विधिक प्रावधानों की जानकारी देने के साथ-साथ विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इससे राज्यों की साइबर सुरक्षा व्यवस्था और अधिक मज़बूत बनाई जा सकेगी।

मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि साइबर हमले की स्थिति में त्वरित प्रतिक्रिया के लिए राज्य, जिला और केंद्र के बीच एक कुशल संचार प्रणाली तैयार की जाए। इसके तहत CERT-In (Indian Computer Emergency Response Team) से समन्वय बनाकर काम करने की योजना है। साइबर खतरे के इस दौर में सरकार की यह पहल राज्यों को डिजिटल मोर्चे पर अधिक सक्षम और तैयार बनाएगी। नागरिकों के निजी और सरकारी आंकड़ों की सुरक्षा के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम है।