DELHI: केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 41वीं बटालियन का कॉस्टेबल (जीडी) मुनीर अहमद ने एक पाकिस्तानी लड़की से वीडियो कॉलिंग करके मोबाइल पर गोपनीय तरीके से निकाह कर लिया। बीवी का वीजा खत्म होने के बाद भी उसे भारत में शरण दिया। यह बात सीआरपीएफ जवान ने अपने विभाग से छिपाया जो सुरक्षा नियमों का उल्लंघन है। जब इस बात की जानकारी जब गृह विभाग को हुई तब सीआरपीएफ जवान को तत्काल बर्खास्त कर दिया गया।
बता दें कि मुनीर अहमद की बीवी मेनल खान जो कि पाकिस्तान की रहने वाली है। मुनीर अहमद ने 24 मई 2024 को वीडियो कॉल के जरिये पाकिस्तानी महिला मेनल खान से निकाह किया था। निकाह के बाद वह मार्च 2025 में शॉर्ट टर्म वीजा पर भारत आई थीं, उसका वीजा 22 मार्च को समाप्त हो गया था। इसके बावजूद वो भारत में मुनीर अहमद के साथ रह रही थी। 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार ने सभी पाकिस्तानी नागरिकों को भारत छोड़ने का आदेश दे दिया।
जिसके तहत मेनल खान को भी 29 अप्रैल तक देश छोड़ने को कहा गया था। लेकिन उन्होंने वीजा विस्तार के लिए पहले ही गृह मंत्रालय में आवेदन किया था। जब मेनल डिपोर्टेशन बस से मेनल खान अटारी-वाघा बॉर्डर की ओर रवाना हुईं तभी उनके वकील अंकुर शर्मा ने फोन करके बताया कि उन्हें कोर्ट से स्टे मिल गया है। जिसके बाद मेनल खान की पाकिस्तान वापसी की प्रक्रिया रोक दी गई।
पाकिस्तानी नागरिक की मौजूदगी बना सुरक्षा खतरा
CRPF की ओर से जारी बयान में कहा गया कि मुनीर अहमद का यह कृत्य सेवा आचरण के गंभीर उल्लंघन के साथ-साथ राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए संभावित खतरा भी था। सीआरपीएफ के प्रवक्ता उप महानिरीक्षक (DIG) एम. दिनाकरन ने बताया कि जवान ने जानबूझकर विभाग से विवाह और पत्नी की भारत में मौजूदगी की जानकारी छिपाई। यह नियमों के खिलाफ था और इस पर बल द्वारा 'जीरो टॉलरेंस' नीति के तहत तत्काल कार्रवाई की गई।
डिपोर्टेशन की प्रक्रिया के बीच कोर्ट से मिला स्टे ऑर्डर
पाकिस्तानी महिला मेनल खान को 29 अप्रैल तक भारत छोड़ने का निर्देश दिया गया था। यह निर्देश 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार द्वारा सभी पाकिस्तानी नागरिकों को भारत छोड़ने के आदेश के तहत जारी किया गया था। मेनल खान ने हालांकि गृह मंत्रालय से वीजा विस्तार के लिए आवेदन किया था, जो उस समय लंबित था। जब उन्हें डिपोर्ट करने के लिए बस से अटारी-वाघा बॉर्डर भेजा जा रहा था, तभी उनके वकील अंकुर शर्मा ने कोर्ट से मिले स्टे ऑर्डर की जानकारी दी, जिसके बाद उनकी पाकिस्तान वापसी की प्रक्रिया को रोका गया।
सीआरपीएफ ने दी सख्त चेतावनी
सीआरपीएफ ने साफ कर दिया है कि बल में तैनात किसी भी जवान को सेवा शर्तों का ईमानदारी से पालन करना अनिवार्य है, विशेषकर जब मामला राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेशी संपर्कों से जुड़ा हो। बल ने कहा है कि ऐसे मामलों में सख्ती से और बिना किसी रियायत के कार्रवाई की जाएगी।