Monsoon 2025: भारतीय मौसम विभाग ने 2025 के लिए लगातार दूसरे साल औसत से अधिक मानसून का अनुमान लगाया है, जो 27 मई को केरल तट पर सामान्य से पांच दिन पहले पहुंचा था। यह 16 साल में सबसे जल्दी मानसून की शुरुआत है और जून-सितंबर के दौरान 106% लॉन्ग पीरियड एवरेज वर्षा की उम्मीद है। यह भारत की लगभग 4 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लिए एक वरदान भी साबित हो सकता है, खासकर कृषि, मुद्रास्फीति नियंत्रण, ग्रामीण मांग और ऊर्जा क्षेत्र के लिए।
मानसून देश की 70% वार्षिक वर्षा लाता है, जो 42.3% आबादी को रोजगार देने वाली कृषि के लिए जीवनरेखा है और अर्थव्यवस्था में 18.2% का योगदान देता है। आइए, आज इसके प्रमुख फायदों पर नजर डालते हैं।
समय से पहले और पर्याप्त मानसून खरीफ फसलों जैसे चावल, मक्का, कपास, सोयाबीन और गन्ने के लिए आदर्श है। IMD के अनुसार, मध्य भारत और दक्षिणी प्रायद्वीपीय क्षेत्रों में सामान्य से अधिक वर्षा की उम्मीद है, जो इन फसलों के लिए महत्वपूर्ण है। 2025-26 के लिए केंद्र सरकार ने 354.64 मिलियन टन खाद्यान्न उत्पादन का लक्ष्य रखा है, जो पिछले साल की 8% अधिक वर्षा से प्रेरित है।
एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, 2025 में सामान्य से अधिक वर्षा से कृषि सकल मूल्य वर्धित में 4.6% की वृद्धि हो सकती है, जो दशकीय औसत 4% से अधिक है। इससे किसानों की आय बढ़ेगी, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में उपभोक्ता वस्तुओं, ज्वेलरी और उपकरणों की मांग बढ़ेगी। यह त्योहारी और शादी के मौसम में खपत को और भी गति देगा, जिससे FMCG, रियल एस्टेट और ऑटोमोबाइल जैसे क्षेत्रों को लाभ होगा।
मुद्रास्फीति पर नियंत्रण और निर्यात में बढ़ोतरी
भारत में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में खाद्य पदार्थों की हिस्सेदारी लगभग 50% है, और पर्याप्त मानसून खाद्य कीमतों को नियंत्रित करने में मदद करता है। 2024 में 107.6% LPA वर्षा ने खाद्य मुद्रास्फीति को कम करने में योगदान दिया, जिसके परिणामस्वरूप मार्च 2025 में खुदरा मुद्रास्फीति 3.34% तक गिर गई, जो पांच साल में सबसे कम है।
2025 में 106% LPA वर्षा का अनुमान भारतीय रिजर्व बैंक को ब्याज दरों में और कटौती करने की गुंजाइश देता है, जो 6 जून और अगस्त 2025 में संभावित है। यह आर्थिक विकास को बढ़ावा देगा। साथ ही, अधिक फसल उत्पादन से चावल, प्याज और चीनी जैसे खाद्य पदार्थों के निर्यात में भी वृद्धि होगी।
जलाशयों का स्तर और ऊर्जा मांग में राहत
समय से पहले मानसून ने दक्षिणी और पश्चिमी भारत में जलाशयों को भरना शुरू कर दिया है, जो सिंचाई, पेयजल और जलविद्युत उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण हैं। 2024 में 108% LPA वर्षा ने जलाशयों के स्तर को पांच साल के निचले स्तर से उबारा था। 2025 में जल्दी और अधिक वर्षा से जल संसाधनों की उपलब्धता बढ़ेगी, जिससे रबी फसलों और बागवानी फसलों को लाभ होगा।
इसके अलावा, मानसून ने भीषण गर्मी से भी राहत दी है, जिससे एयर कंडीशनिंग और सिंचाई के लिए बिजली की मांग में कमी आई है। बिजली एक्सचेंजों पर कीमतें शून्य के करीब पहुंच गईं, और कोल्ड ड्रिंक और आइसक्रीम की बिक्री में तीन सप्ताह पहले कमी शुरू हो गई। यह ऊर्जा कंपनियों के लिए राहत की बात है, जो गर्मी के दौरान मांग को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रही थीं।