झारखंड के प्रसिद्ध बैद्यनाथ धाम में महाशिवरात्रि को लेकर तैयारियां जोरों पर हैं। इस पावन अवसर पर बाबा बैद्यनाथ मंदिर में परंपरागत रीति-रिवाजों के अनुसार विभिन्न अनुष्ठान संपन्न किए जा रहे हैं। सोमवार को सबसे पहले गणेश मंदिर के शिखर से पंचशूल को उतारने की परंपरा निभाई गई, जिसे चिंतामणी भंडारी के नेतृत्व में संपन्न किया गया।
बैद्यनाथ धाम में महाशिवरात्रि से पहले पंचशूल उतारने की प्राचीन परंपरा है। मंदिर के शिखर पर स्थित पंचशूल भगवान शिव की शक्ति और सुरक्षा का प्रतीक माने जाते हैं। हर साल महाशिवरात्रि से पहले इन्हें उतारकर शुद्धिकरण किया जाता है और विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है। भंडारी परिवार के राजू भंडारी और उनके सहयोगी इस कार्य को अंजाम दे रहे हैं। गणेश मंदिर के बाद अन्य मंदिरों के पंचशूल भी उतारे जाएंगे, जिन्हें मंदिर प्रशासनिक भवन में ले जाकर विशेष रूप से साफ किया जाएगा।
24 फरवरी को उतारे जाएंगे बाबा बैद्यनाथ और माता पार्वती मंदिर के पंचशूल
24 फरवरी को बाबा बैद्यनाथ और माता पार्वती मंदिर के पंचशूल उतारे जाएंगे। इस दिन मंदिर प्रांगण में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ने की संभावना है। इससे पहले बाबा बैद्यनाथ और माता पार्वती मंदिर के बीच स्थित गठबंधन को खोला जाएगा। इस अवसर पर गद्दी घर में सभी पंचशूलों की तांत्रिक विधि से पूजा की जाएगी। यह पूजा आचार्य गुलाब नंद ओझा और मंदिर के पुजारी लगभग दो घंटे तक विशेष मंत्रोच्चार और अनुष्ठान के माध्यम से करेंगे।
महाशिवरात्रि पर उमड़ेगी भक्तों की भीड़
महाशिवरात्रि पर देशभर से लाखों श्रद्धालु बाबा बैद्यनाथ के दर्शन के लिए देवघर पहुंचते हैं। इस दौरान मंदिर में रुद्राभिषेक, विशेष आरती और महापूजा का आयोजन किया जाता है। प्रशासन ने भीड़ को नियंत्रित करने और सुरक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए विशेष इंतजाम किए हैं। बैद्यनाथ धाम में चल रही तैयारियों को देखते हुए यह स्पष्ट है कि महाशिवरात्रि का पर्व इस बार भी धूमधाम से मनाया जाएगा, जहां श्रद्धालु भगवान शिव के जयकारों के साथ मंदिर परिसर को भक्तिमय बना देंगे।