Maha Kumbh 2025: प्रयागराज में महाकुंभ मेला 2025 का आगाज हो चूका है. यह मेला 13 जनवरी से शुरू हुआ है और 26 फरवरी तक चलेगा. महाकुंभ में लाखों की संख्या में साधु-संत पहुंच रहे हैं, जिनमें से एक हैं आचार्य रूपेश कुमार झा. बिहार के मधुबनी जिले से आने वाले रूपेश कुमार की कहानी हर किसी को प्रेरित कर रही है. उन्होंने यूजीसी नेट (UGC NET) की परीक्षा सात बार पास की है और जेआरएफ (जूनियर रिसर्च फेलोशिप) भी दो बार क्वालिफाई किया है. जिसके बाद तीन सरकारी नौकरियां छोड़कर आचार्य बनने का फैसला किया. महाकुंभ में रूपेश कुमार झा अपने गुरुकुल के बच्चों के साथ स्नान करने पहुंचे हैं.
आचार्य रूपेश का कहना है कि उनका उद्देश्य है कि सनातन धर्म और संस्कृत को नई पीढ़ी तक पहुंचाया जाए. वे मानते हैं कि गुरुकुल शिक्षा पद्धति से बच्चों को बेहतर संस्कार और ज्ञान मिलता है. उन्होंने बताया, मैंने तीन बार सरकारी नौकरी पाई, लेकिन मुझे लगा कि असली ज्ञान तो सनातन धर्म और संस्कृत में है. इसलिए मैंने सब कुछ छोड़कर गुरुकुल खोलने का फैसला किया. वे बच्चों को संस्कृत पढ़ाने में जुटे हैं और उनका कहना है कि अब कई बच्चों ने इंग्लिश मीडियम के स्कूल छोड़कर उनके गुरुकुल में दाखिला लिया है.
आचार्य रूपेश कुमार ने अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई दिल्ली यूनिवर्सिटी के किरोरी मल कॉलेज से की. इसके बाद उन्होंने ब्रह्मचर्य आश्रम के गुरुकुल में शिक्षा ली. रूपेश कुमार मधुबनी जिले के सरस उपाही गांव में लक्ष्मीपति गुरुकुल चलाते हैं, जहां करीब 125 बच्चे संस्कृत की पढ़ाई कर रहे हैं. उनका सपना है कि वे बिहार में 108 गुरुकुल खोलें और सनातन धर्म को आगे बढ़ाएं.
हर 144 साल में होता है महाकुंभ मेला
कुंभ मेला दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन माना जाता है. यहां साधु-संत, महात्मा, साध्वियां और तीर्थयात्री दूर-दूर से आते हैं. यह मेला गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम पर होता है, जिसे त्रिवेणी संगम कहा जाता है. हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, कुंभ मेला वह पवित्र अवसर है जब देवता धरती पर उतरकर भक्तों को आशीर्वाद देते हैं. कुंभ मेला हर चार साल में हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक में होता है. हालांकि, महाकुंभ का आयोजन हर 144 साल में होता है, जब ग्रह-नक्षत्रों की खास स्थिति बनती है. इस साल का महाकुंभ मेला धार्मिक दृष्टि से बेहद खास माना जा रहा है.