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जुग जाहेर थान विवाद गहराया, आदिवासी नेताओं ने सीएम हेमंत सोरेन पर लगाया दोहरा चरित्र अपनाने का आरोप

CM Hemant Soren: जुग जाहेर थान को लेकर विवाद लगातार गहराता जा रहा है। आदिवासी नेताओं ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर मामले में दोहरा चरित्र अपनाने का गंभीर आरोप लगाते हुए राज्यपाल को पत्र लिखकर न्याय की गुहार लगाई है।

मामले की पृष्ठभूमि

करीब सात महीने पहले, 19 जुलाई 2024 को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपनी पत्नी और गांडेय विधायक कल्पना मुर्मू सोरेन के साथ गिरिडीह के मधुबन थाना क्षेत्र स्थित दिशोम मांझी थान में पूजा की थी। पूजा के बाद मुख्यमंत्री और उनकी पत्नी वहां से चले गए थे। इस दौरान एक तस्वीर वायरल हुई थी, जिसके आधार पर मधुबन थाने में अज्ञात लोगों के खिलाफ कांड संख्या 13/2024 के तहत मामला दर्ज किया गया। अब इस मामले में कुछ लोगों को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 35(3) के तहत नोटिस जारी किया गया है।

आदिवासी समाज का विरोध और आरोप

मरांग बुरु सांवता सुसार बैसी के अध्यक्ष नुनुका टुडू, सचिव सिकंदर हेम्ब्रम और अन्य आदिवासी नेताओं ने हेमंत सोरेन पर आरोप लगाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ने पूजा के दौरान आदिवासी परंपराओं का पालन नहीं किया और बाद में बलि प्रथा को लेकर मामला दर्ज कर दिया।

बैसी के नेताओं ने कहा कि "मरांग बुरु" आदिवासी समाज का पवित्र स्थल है, जहां सदियों से बलि प्रथा के साथ पूजा-अर्चना होती आ रही है। उन्होंने मुख्यमंत्री पर दोहरा रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने पूजा के बाद बलि को असामाजिक बताते हुए निर्दोष आदिवासियों पर मामला दर्ज करवा दिया।

राज्यपाल को पत्र और मांगें

आदिवासी नेताओं ने राज्यपाल को पत्र लिखकर निर्दोष लोगों को मामले से मुक्त करने और भारत सरकार के ऑफिस मेमोरेंडम संख्या 11-584/2014-डब्लूएल को रद्द/संशोधित कर क्षेत्र को "जुग जाहेर थान दिशोम मांझी थान" घोषित करने की मांग की है। साथ ही उन्होंने आदिवासी समाज की पारंपरिक पूजा में आ रही बाधाओं को दूर करने की भी अपील की है।

सीएम हेमंत सोरेन पर राजनीतिक साजिश का आरोप

बैसी के नेताओं ने मुख्यमंत्री पर राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता का आरोप लगाते हुए कहा कि यह साजिश उन लोगों को कुचलने की है, जिनकी विचारधारा झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) से अलग है। उन्होंने कहा कि नोटिस उन निर्दोष आदिवासियों को दिया गया है, जो उस दिन की पूजा में शामिल तक नहीं थे।

आदिवासी नेताओं की अपील

नेताओं ने कहा कि मुख्यमंत्री को जुग जाहेर थान और दिशोम मांझी थान पर अपने रुख को स्पष्ट करना चाहिए। साथ ही जैन समाज और आदिवासी समाज के बीच उत्पन्न भ्रम को दूर कर संतुलन बनाना चाहिए। उन्होंने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया कि वह आदिवासी समाज की भावनाओं का सम्मान करें और परंपराओं को संरक्षित करने का प्रयास करें।

विवाद का नतीजा

जुग जाहेर थान को लेकर आदिवासी समाज में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। यह मामला न केवल आदिवासी परंपराओं के संरक्षण से जुड़ा है, बल्कि राजनीतिक दृष्टिकोण से भी झारखंड में गहराते संघर्ष की ओर इशारा करता है।