JHARKHAND: झारखंड की राजधानी रांची की सड़कों पर कभी डिलीवरी बॉय का काम करने वाले राजेश रजक ने अपने कठिन परिश्रम और अटूट हौसले के दम पर राज्य की प्रतिष्ठित जेपीएससी (Jharkhand Public Service Commission) परीक्षा में सफलता हासिल की है। राजेश अब एक झारखंड प्रशासनिक सेवा अधिकारी बनेंगे। यह कहानी सिर्फ एक सफलता की नहीं, बल्कि जमीनी हकीकत में जूझते एक युवा के सपनों के सच होने की है।
राजेश रजक का जन्म हज़ारीबाग जिले के बरकट्ठा प्रखंड के केंदुआ गांव में हुआ। उनका बचपन अत्यंत साधारण, बल्कि आर्थिक तंगी से भरा रहा। उनके पिता की मौत वर्ष 2017 में तब हुई, जब वे 12वीं कक्षा में पढ़ाई कर रहे थे। पिता के निधन के बाद परिवार की ज़िम्मेदारी उनके कंधों पर आ गई। उनकी मां जानकी देवी गांव के एक सरकारी स्कूल में मिड-डे मील की रसोइया हैं, जबकि उनका बड़ा भाई मुंबई में मज़दूरी करता है।
राजेश ने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई गांव के सरकारी स्कूल से की। इसके बाद उन्होंने हजारीबाग से 12वीं की और स्नातक की पढ़ाई पूरी की। 12वीं के दौरान जब घर की आर्थिक स्थिति बुरी तरह डगमगा गई थी, तब उन्होंने एक निजी स्कूल में ₹6000 मासिक वेतन पर नौकरी कर ली, जिससे वे अपनी पढ़ाई जारी रख सके।
रात में पढ़ाई दिन में डिलीवरी
स्नातक के बाद राजेश ने रांची आकर सिविल सेवा की तैयारी शुरू की। इस दौरान उन्होंने खुद का और परिवार का खर्च चलाने के लिए डिलीवरी बॉय की नौकरी की। दिन में वे ऑर्डर डिलीवर करते और रात में पढ़ाई में जुट जाते। यह समय उनके जीवन का सबसे संघर्षपूर्ण था। जब कई बार नींद, थकावट और संसाधनों की कमी के बीच उनका आत्मविश्वास डगमगाता, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।
जेपीएससी की संयुक्त छठी से दसवीं परीक्षा के लिए जब विज्ञापन निकला, तो राजेश ने नौकरी छोड़ दी और पूरी तरह से पढ़ाई में जुट गए। उन्हें अपनी मेहनत पर भरोसा था, और इसी विश्वास के सहारे उन्होंने पहले प्रारंभिक परीक्षा पास की। हालांकि मुख्य परीक्षा में वे सफल नहीं हो पाए थे, लेकिन यह असफलता भी उनके हौसले को नहीं तोड़ पाई।
दूसरी कोशिश में मिली सफलता
राजेश ने फिर से जेपीएससी की परीक्षा दी और इस बार उनकी मेहनत रंग लाई। 271वीं रैंक हासिल कर उन्होंने झारखंड जेल सेवा में स्थान पाया। इससे पहले उन्होंने JSSC-CGL परीक्षा भी पास की थी, लेकिन वह मामला फिलहाल न्यायालय में लंबित है।
मां की आंखों में खूशी के आंसू
राजेश की मां जानकी देवी के पास अपने बेटे की इस सफलता को बयां करने के लिए शब्द नहीं हैं। उनकी आंखों से बहते आंसू ही आज उनकी ख़ुशी की गवाही दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि राजेश ने परिवार की उम्मीदों को जिंदा रखा और आज उसका फल पूरे गांव को गौरव दिला रहा है। राजेश की सफलता उन लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा है जो कठिन हालातों से हार मान लेते हैं। उनका यह सफर यह बताता है कि अगर लगन और हौसला हो, तो कोई भी मंज़िल दूर नहीं होती।