Jharkhand Politics: झारखंड के जामताड़ा जिले में उलेमाओं के एक जलसे के दौरान राज्य के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी द्वारा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लेकर की गई टिप्पणी के बाद राज्य की राजनीति गरमा गई है। कांग्रेस ने उनके बयान का समर्थन किया है, जबकि भाजपा ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है और इसे मंत्री के लिए महंगा साबित होने वाला कदम बताया है।
झारखंड भाजपा के प्रवक्ता अविनेश कुमार सिंह ने कहा कि योगी आदित्यनाथ पूरे देश के सनातनी धर्मावलंबियों की पहली पसंद हैं। ऐसे में राज्य के एक मंत्री द्वारा योगी आदित्यनाथ को लेकर की गई टिप्पणी डॉ. इरफान अंसारी को महंगी पड़ेगी। उन्होंने इसे धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाला बयान बताया और इसके खिलाफ विरोध जताया।
कांग्रेस ने किया समर्थन
डॉ. इरफान अंसारी के बयान के पक्ष में झारखंड कांग्रेस के मीडिया प्रभारी राकेश सिन्हा ने कहा कि भाजपा के नेताओं को पहले योगी आदित्यनाथ को नसीहत देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत विभिन्न भाषाओं, संस्कृतियों और मर्यादाओं का देश है, और यदि कोई भी किसी भाषा के खिलाफ अमर्यादित टिप्पणी करता है, तो कांग्रेस चुप नहीं बैठेगी।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, उत्तर प्रदेश विधानसभा में योगी आदित्यनाथ द्वारा उर्दू भाषा को लेकर की गई एक टिप्पणी को लेकर झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने नाराजगी जाहिर की। जामताड़ा के नारायणपुर में 20 फरवरी को आयोजित उलेमाओं के जलसे में उन्होंने योगी आदित्यनाथ के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। डॉ. इरफान अंसारी ने अपने संबोधन में कहा कि, "योगी कहते हैं कि उर्दू पढ़कर मौलवी बनेगा, कठमुल्लाह बनेगा।" उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को दायरे में रहने की चेतावनी दी और संभलकर बोलने की हिदायत दी। उन्होंने कहा कि झारखंड में कांके (मानसिक रोग अस्पताल) है, यह बात योगी को याद रखनी चाहिए।
उर्दू को लेकर भावनात्मक अपील
मंत्री इरफान अंसारी ने उर्दू भाषा को समाज को जोड़ने वाली भाषा बताया और कहा कि यह किसी जाति विशेष की भाषा नहीं है। उन्होंने कहा कि दुनिया के कई देशों में उर्दू बोली जाती है और इसे किसी एक वर्ग या धर्म से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि, "हमें गाली दे दो, लेकिन उर्दू का अपमान बर्दाश्त नहीं होगा।"
राजनीतिक प्रभाव और संभावित परिणाम
इस पूरे घटनाक्रम से झारखंड की राजनीति में हलचल मच गई है। भाजपा इस बयान को लेकर कांग्रेस पर हमलावर हो सकती है, जबकि कांग्रेस इसे भाजपा की विचारधारा पर सीधा हमला मान रही है। इस विवाद के बाद झारखंड सरकार पर भी विपक्षी दलों का दबाव बढ़ सकता है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस बयान का झारखंड की राजनीति और आगामी चुनावों पर क्या प्रभाव पड़ता है।