झारखंड में लोकायुक्त, मुख्य सूचना आयुक्त, सूचना आयुक्त, मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष और झारखंड लोक सेवा आयोग (JPSC) के अध्यक्ष समेत कई संवैधानिक पदों पर नियुक्ति का मामला अब भी अधर में लटका हुआ है। इसकी मुख्य वजह नेता प्रतिपक्ष का अब तक चयन न होना है। इस मुद्दे पर दायर जनहित याचिका पर आज झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई।
राज्य सरकार की ओर से कोर्ट में कहा गया कि नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति नहीं होने के कारण संवैधानिक पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया प्रभावित हो रही है। हाईकोर्ट ने इस पर संज्ञान लेते हुए अगली सुनवाई मार्च के अंतिम सप्ताह में निर्धारित की है।
इससे पहले जनवरी 2025 में सुप्रीम कोर्ट में भी इस मामले की सुनवाई हुई थी। तब सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने निर्देश दिया था कि सदन में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी अपने किसी निर्वाचित सदस्य को नेता प्रतिपक्ष के रूप में नामित करे और यह प्रक्रिया दो सप्ताह के भीतर पूरी की जाए। हालांकि, भाजपा अब तक इस प्रक्रिया को पूरा नहीं कर पाई है।
भाजपा की देरी से अटकी नियुक्तियां
भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने पहले कहा था कि बजट सत्र से पहले नेता प्रतिपक्ष का चयन कर लिया जाएगा, लेकिन यह अभी तक संभव नहीं हुआ है। इससे संवैधानिक पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया रुकी हुई है।
गौरतलब है कि झारखंड विधानसभा में इससे पहले भी यह समस्या देखी गई थी। पांचवीं विधानसभा के दौरान भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी पर दलबदल कानून के तहत मामला चल रहा था, जिससे उन्हें नेता प्रतिपक्ष का दर्जा नहीं मिल पाया था। इसके चलते चार वर्षों तक सदन बिना नेता प्रतिपक्ष के चला। अंततः अक्टूबर 2023 में भाजपा ने अमर बाउरी को नेता प्रतिपक्ष के रूप में मनोनीत किया था।