झारखंड सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री दीपिका पांडे सिंह ने केंद्र सरकार पर राज्य के साथ सौतेला व्यवहार करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि झारखंड के विकास के लिए चलाई जा रही योजनाओं में केंद्र सरकार का जो अंश है, उसे देने में लगातार कोताही बरती जा रही है। इसके अलावा, कोयले की रॉयल्टी के रूप में 1 लाख 36 हजार करोड़ रुपए का बकाया अब तक राज्य को नहीं मिला है।
मंत्री दीपिका पांडे सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना, मनरेगा, नल-जल योजना, बाल विकास परियोजना समेत विभिन्न योजनाओं के लिए केंद्र पर करोड़ों रुपए का बकाया है। झारखंड सरकार के वित्त विभाग द्वारा इन लंबित राशियों का एक विस्तृत ब्योरा तैयार किया जा रहा है, जिसे जल्द ही सार्वजनिक किया जाएगा। उन्होंने आशंका जताई कि केंद्र सरकार की उदासीनता के कारण यह बकाया राशि और बढ़ सकती है।
बकाया राशि के लिए आंदोलन का संकेत
दीपिका पांडे सिंह ने कहा कि अगर केंद्र सरकार राज्य को उसकी वैध राशि देने में आनाकानी करती रही, तो झारखंड सरकार आंदोलन का रास्ता अपनाने से भी पीछे नहीं हटेगी। उन्होंने कहा कि झारखंड आंदोलनकारियों की भूमि रही है और यहां के लोग अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करने से पीछे नहीं हटते। हाल ही में, केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ हुई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में उन्होंने झारखंड की चिंताओं को स्पष्ट रूप से रखा था।
पीएम आवास योजना पर सवाल
बैठक के दौरान उन्होंने पीएम आवास योजना की इकाइयों में कटौती और वित्तीय सहायता में कमी की आलोचना की। उन्होंने कहा कि 1 लाख 20 हजार रुपए की राशि अपर्याप्त है और इसे बढ़ाने की जरूरत है ताकि गरीबों को अधिक लाभ मिल सके।
महिला सशक्तिकरण के लिए ‘मंईयां सम्मान योजना’ जरूरी
सुप्रीम कोर्ट द्वारा चुनावी वादों में फ्रीबीज (मुफ्त सुविधाएं) को लेकर उठाए गए सवालों पर प्रतिक्रिया देते हुए मंत्री ने कहा कि चुनाव के दौरान किसी को पैसे देने की बात करना गलत हो सकता है, लेकिन अगर महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए योजनाएं बनाई जाती हैं, तो इसे गलत नहीं कहा जा सकता। उन्होंने मंईयां सम्मान योजना को महिलाओं के आर्थिक उत्थान के लिए उपयोगी बताया।
झारखंड कांग्रेस को नई ऊर्जा मिलने की उम्मीद
झारखंड कांग्रेस के नए प्रभारी के. राजू को बधाई देते हुए मंत्री ने कहा कि उनका प्रशासनिक और विकास कार्यों का अनुभव झारखंड कांग्रेस को मजबूत करने में मदद करेगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि उनके नेतृत्व में पार्टी और अधिक मजबूती से आगे बढ़ेगी। इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। अब यह देखना होगा कि केंद्र सरकार इस पर क्या प्रतिक्रिया देती है और क्या झारखंड सरकार अपने बकाया राशि के लिए आंदोलन का रास्ता अपनाती है या नहीं।