झारखंड की राजनीति में महिला वोटर गेम चेंजर के रूप में उभर कर सामने आई है। पिछले साल दिसंबर महीने में हुए विधानसभा चुनाव में जेएमएम पार्टी ने महिला वोटरों को टारगेट कर अपनी सरकार बना ली। हेमंत सोरेन ने मईयां सम्मान योजना के जरिए वूमेन कार्ड खेल कर जीत हासिल की। लेकिन क्या आप जानते हैं कि पिछले 12 सालों से महिला वोटर के सहारे ही झारखंड की राजनीति टिकी हुई है। पिछले 12 सालों में एक ही योजना का तीन बार नाम बदला गया और उसे अलग-अलग तरीके से पेश किया गया है।आईए जानते हैं इस पर डिटेल रिपोर्ट
राज्य की महिलाओं को लुभाने की प्रक्रिया साल 2010 से ही शुरू हो गया था। 2010 में बनी अर्जुन मुंडा की सरकार ने मुख्यमंत्री लक्ष्मी लाडली योजना को लॉन्च किया था। इसके तहत बच्ची के नाम से पोस्ट ऑफिस में खाता खुलवाया जाता था और जन्म से पांच वर्ष तक हर साल 6000 रुपए देने का प्रावधान था। 12 तक की पढाई तक सरकार की ओर से अलग-अलग राशि दी जाती थी। वहीँ, 21 साल की आयु पूरी करने पर एकमुश्त 1 लाख 08 हजार 600 रुपए देने का प्रावधान था।
इसके बाद 2014 में सत्ता में आई रघुवर दास की सरकार ने साल 2019 में अर्जुन मुंडा सरकार की मुख्यमंत्री लक्ष्मी लाडली योजना का नाम बदलकर मुख्यमंत्री सुकन्या योजना नाम दे दिया। इसके साथ ही योजना में कुछ बदलाव भी किये गए। इस योजना में 12वीं तक की पढ़ाई पूरी करने पर 30 हजार रुपए देने थे। वहीँ, 18 साल की आयु पूरी करने पर एकमुश्त 10 हजार रुपए देने का नियम था।
इसके तुरंत बाद आई हेमंत सोरेन की सरकार ने साल 2022 में देश की प्रथम शिक्षिका रहीं सावित्रीबाई फुले के नाम पर किशोरियों के लिए योजना का शुभारंभ कर दिया। इसके तहत 12 वी तक की किशोरी को 20 हजार की राशि अलग- अलग किस्तों में दी गयी। वहीँ, बच्ची के 18 या 19 साल की आयु पूरा करते ही एकमुश्त 20,000 रुपए दिए जा रहे हैं।
वहीं अब मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना‘ के तहत महिला लाभुकों को हर माह 2500 रुपए मिलते हैं। दिसंबर 2024 तक लाभुकों की संख्या 56 लाख से ज्यादा थी। मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना का लाभ 18 साल से 50 साल तक की युवती और महिलाओं को मिलता है।