झारखंड की राजनीति में हेमंत सोरेन के लिए जीत की राह तय करने वाली मंईयां सम्मान योजना का हाल इन दोनों ठीक नहीं चल रहा है। पहले महीने के बाद से ही योजना में हो रही लेटलतीफी ने राज्य की महिलाओं का मूड खराब कर दिया है। फरवरी माह की 15 तारीख भी बीत गई है लेकिन अभी तक जनवरी का किस्त नहीं आया है। इस मामले में विपक्षियों को सरकार पर चढ़ने की एक और वजह दे दी है। बात अगर भाजपा की करें तो पार्टी की ओर से आंदोलन तक करने की धमकी दे दी गई है। ऐसे में लिए जानते हैं कि क्या है असली वजह जिसके कारण मैया सम्मान योजना का लाभ महिलाओं को अभी तक नहीं मिल पाया है।
दरअसल, चुनाव जीतने के कुछ दिन बाद ही हेमंत सोरेन ने जनवरी माह में एक भव्य आयोजन कर मंच से महिलाओं के खाते में मंईयां सम्मान योजना के तहत पहली किस्त जारी कर दी थी। इस दौरान 56 लाख 61 हजार 791 लाभुकों के खाते में राशि ट्रांसफर हुई थी। लेकिन इसके बाद योजना को किसी की नज़र लग गयी, जिसके कारण अबतक जनवरी माह की किस्त नहीं जारी की की गयी है।
मिली जानकारी के अनुसार, विभागीय अधिकारियों का कहना है की बड़ी संख्या में इस योजना का लाभ वह महिलाएं ले रही हैं जो इसकी लाभार्थी नहीं है। ऐसे में उन्हें लिस्ट से बाहर करने के लिए उनके खातों का सत्यापन किया जा रहा है और जो भी महिला लाभार्थी की श्रेणी में नहीं आ रही है उनका नाम लिस्ट से हटाया जा रहा है। इस पूरी प्रक्रिया को करने में देरी ही हो रही है, यही वजह है कि अभी तक मंईयां सम्मान योजना का दूसरा किस्त जारी नहीं हुआ है।
वहीं कई राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि इस योजना के लिए सरकार के पास फंड की कोई कमी नहीं है इस योजना के लिए हेमंत सरकार ने पहले ही बजट पेशी के दौरान पर्याप्त मात्रा में पैसों को जोड़ लिया था। उनका कहना है कि फंड की व्यवस्था सरकार गठन के बाद हुए पहले विधानसभा सत्र के दौरान ही कर ली गई थी। सरकार ने 2024-25 के लिए कुल 11,697 करोड़ का अनुपूरक बजट पारित कराया था, जिसमें सबसे ज्यादा महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग के लिए 6390.55 करोड़ रु. आवंटित किए गये थे। इस लिहाज से मार्च 2025 तक लाभुकों को किस्त देने के लिए सरकार के पास फंड मौजूद है।