Jharkhand Politics : विधायक सरयू राय ने सोमवार को विधानसभा में जमशेदपुर में बढ़ती चोरी, लूट, गोलीबारी और गृहभेदन की घटनाओं पर सरकार से जवाब मांगा। उन्होंने सवाल उठाया कि पुलिस बल का बड़ा हिस्सा दोपहिया वाहनों की जांच में लगा हुआ है, जिससे अपराध नियंत्रण पर ध्यान नहीं दिया जा रहा। कई मामलों में एक ही वाहन को दो बार चेक किया जा रहा है। उन्होंने सुझाव दिया कि अगर पुलिस बल को अपराध नियंत्रण में लगाया जाए, तो बेहतर नतीजे मिल सकते हैं।
सरयू राय ने कदमा फार्म एरिया में हाल ही में हुई गृहभेदन की घटनाओं का विशेष रूप से उल्लेख किया। इस पर प्रभारी मंत्री ने जवाब दिया कि इन अपराधों में अंतर्राज्यीय गिरोह शामिल हैं और सरकार इस पहलू पर विचार कर रही है।रिपोर्ट के अनुसार, जमशेदपुर में गृहभेदन के 24 मामले दर्ज हुए हैं, लेकिन अब तक केवल चार मामलों को ही सुलझाया जा सका है। अपराधों की बढ़ती घटनाओं और पुलिस की सीमित सफलता ने शहरवासियों की चिंता बढ़ा दी है।
जमशेदपुर में बढ़ते अपराधों को लेकर जनता का गुस्सा अब सिर्फ प्रशासन तक सीमित नहीं है, बल्कि स्थानीय जनप्रतिनिधियों की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। लोग यह पूछ रहे हैं कि आखिर नेता सिर्फ विधानसभा में सवाल उठाने तक ही सीमित क्यों हैं? अपराध पर लगाम लगाने के लिए जमीनी स्तर पर क्या कदम उठाए जा रहे हैं? व्यापारियों और आम नागरिकों की मांग है कि पुलिस गश्त को बढ़ाया जाए, संवेदनशील इलाकों में सीसीटीवी कैमरों की संख्या बढ़ाई जाए और अपराधियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई की जाए।
कानून-व्यवस्था की साख दांव पर
अगर पुलिस और प्रशासन अपराध नियंत्रण में नाकाम रहते हैं, तो इसका सीधा असर सरकार की छवि पर भी पड़ता है। जमशेदपुर जैसे औद्योगिक शहर में कानून-व्यवस्था की खराब स्थिति निवेशकों को भी हतोत्साहित कर सकती है। अगर जल्द ही ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो अपराधियों के हौसले और बुलंद हो सकते हैं, जिससे आम जनता का प्रशासन से विश्वास उठ जाएगा। अब सरकार और पुलिस प्रशासन के लिए यह जरूरी हो गया है कि वे सिर्फ बयानबाजी तक सीमित न रहें, बल्कि अपराध रोकने के लिए ठोस और कारगर रणनीति अपनाएं।