India Pakistan: भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया सैन्य तनाव ने एक बार फिर दुनिया का ध्यान खींचा। 10 मई 2025 को दोनों देशों के बीच सीजफायर समझौता हुआ, लेकिन इसके कुछ ही घंटों बाद पाकिस्तान ने फिर से नापाक हरकतें शुरू कर दीं थी। अब ऑस्ट्रियाई वायु युद्ध इतिहासकार टॉम कूपर ने इस संघर्ष को भारत की "स्पष्ट जीत" करार दिया है। उन्होंने कहा कि भारत ने अपनी सैन्य ताकत से पाकिस्तान को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया। लेकिन, सीजफायर के बाद भी पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा। बीती रात जम्मू-कश्मीर, पंजाब और राजस्थान में पाकिस्तानी ड्रोन्स ने घुसपैठ की, जिसे भारत ने नाकाम कर दिया।
टॉम कूपर, जो हवाई युद्ध के दुनिया भर में मशहूर विशेषज्ञ हैं, ने भारत-पाकिस्तान संघर्ष पर अपनी राय दी। उन्होंने कहा, "जब एक देश दूसरे के परमाणु हथियार भंडारण सुविधाओं पर बमबारी करता है और दूसरा जवाब देने में असमर्थ होता है, तो ये मेरे लिए स्पष्ट जीत है। इस्लामाबाद का सीजफायर मांगना कोई आश्चर्य की बात नहीं।" कूपर ने भारत की सैन्य रणनीति की तारीफ की और बताया कि भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान के कई एयर बेस और आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया।
भारत ने अपनी ब्रह्मोस और स्कैल्प-ईजी मिसाइलों का इस्तेमाल कर पाकिस्तान के रावलपिंडी, नूर खान और सरगोधा जैसे एयर बेस को नष्ट कर दिया। कूपर के मुताबिक, पाकिस्तान के पास इन हमलों का जवाब देने के लिए लंबी दूरी की मिसाइलें नहीं थीं, जिसके चलते उसे हार माननी पड़ी। भारत ने चार दिनों तक चले इस सैन्य अभियान में 11 पाकिस्तानी एयर बेस को निशाना बनाया और 100 से ज्यादा आतंकियों को मार गिराया।
10 मई को भारत और पाकिस्तान के बीच DGMO स्तर की बातचीत के बाद सीजफायर हुआ था। दोनों देशों ने बॉर्डर पर तनाव कम करने और सैन्य कार्रवाई रोकने का वादा किया। लेकिन, उसी रात पाकिस्तान ने फिर से सीजफायर तोड़ा। 12 मई की रात को जम्मू-कश्मीर के सांबा, पंजाब के पठानकोट और जालंधर, और राजस्थान के बाड़मेर और झुंझनू में फिर पाकिस्तानी ड्रोन्स देखे गए। भारतीय एयर डिफेंस सिस्टम ने इन ड्रोन्स को हवा में ही मार गिराया।
इसके अलावा पंजाब के होशियारपुर में 5-7 धमाके सुने गए, जिसके बाद जिला प्रशासन ने ब्लैकआउट लागू कर दिया। पठानकोट, अमृतसर, तरनतारन और फाजिल्का में स्कूल बंद कर दिए गए। ये घटना दिखाती है कि पाकिस्तान शांति की बात तो करता है, लेकिन उसकी मंशा नहीं बदलती। क्रिकेटर वीरेंद्र सहवाग की कही बात, "कुत्ते की दूम टेढ़ी की टेढ़ी ही रहती है," यहाँ फिर से सही साबित हुई हैं।