India-Pakistan: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने 26 मई 2025 को तेहरान में एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भारत के साथ शांति वार्ता की इच्छा जताई है, जिसने दोनों देशों के बीच कूटनीतिक चर्चाओं को फिर से हवा दे दी। शरीफ ने कहा कि वह कश्मीर, जल विवाद, व्यापार, और आतंकवाद विरोधी सहयोग सहित सभी मुद्दों को बातचीत के जरिए हल करना चाहते हैं।
उन्होंने ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियान के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “हम शांति के लिए भारत से बात करने को तैयार हैं। हम क्षेत्र में शांति चाहते हैं और सभी लंबित मुद्दों को टेबल पर हल करना चाहते हैं।” लेकिन सवाल यह है कि क्या भारत को पाकिस्तान पर भरोसा करना चाहिए? क्या यह अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने के समान नहीं होगा?
बता दें कि शरीफ का यह प्रस्ताव ऐसे समय में आया है, जब भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध हाल ही में पहलगाम आतंकी हमले और उसके जवाब में भारत के ऑपरेशन सिंदूर के बाद तनावपूर्ण रहे हैं। पहलगाम हमले में 26 लोग मारे गए थे, जिसके जवाब में भारत ने पाकिस्तान और पाक-अधिकृत कश्मीर में नौ आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए, जिसमें 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए।
जिसके बाद पाकिस्तान ने 8-10 मई को जवाबी ड्रोन और मिसाइल हमलों की कोशिश की, लेकिन भारत ने इसका कड़ा जवाब दिया। 10 मई को दोनों देशों के सैन्य संचालन महानिदेशकों के बीच बातचीत के बाद युद्धविराम पर सहमति बनी। शरीफ के इस शांति प्रस्ताव को कुछ लोग ऑपरेशन सिंदूर के दबाव का नतीजा मान रहे हैं, जिसने पाकिस्तान को कूटनीतिक रूप से बेहद कमजोर किया है और उसकी सिट्टी-पिट्टी अब गुम हो चुकी है।
हालांकि, भारत का रुख स्पष्ट है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बार-बार कहा है कि पाकिस्तान के साथ बातचीत केवल आतंकवाद और PoK की वापसी पर हो सकती है। मोदी ने 27 मई को भुज में एक रैली में चेतावनी दी, “पाकिस्तान को शांति चुननी होगी, वरना भारत की गोली तैयार है।”
इसके अलावा भारत ने यह भी साफ किया कि कोई भी बातचीत द्विपक्षीय होगी, और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जैसे तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार नहीं की जाएगी। शरीफ ने सऊदी अरब को तटस्थ स्थान के रूप में सुझाया, लेकिन भारत ने इस पर कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं दी है।