INDvsPAK: पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है। इस हमले में 26 लोगों की मौत हुई थी, जिसके लिए भारत ने पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों को जिम्मेदार ठहराया। इस तनाव के बीच अगर दोनों देशों के बीच युद्ध की नौबत आती है, तो पाकिस्तान की सैन्य स्थिति बेहद कमजोर नजर आती है। सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान के पास गोला-बारूद का भंडार इतना सीमित है कि वह उच्च-तीव्रता वाले संघर्ष को महज 4 दिन ही झेल सकता है। इसकी सबसे बड़ी वजह हाल के वर्षों में यूक्रेन और अन्य देशों को किए गए हथियारों के निर्यात हैं, जिसने पाकिस्तान की अपनी सैन्य तैयारियों को कमजोर कर दिया है।
रिपोर्ट्स की अगर मानें तो पाकिस्तान ने 2022-23 में यूक्रेन को भारी मात्रा में हथियार निर्यात किए, जिसमें 42,000 122mm BM-21 रॉकेट, 60,000 155mm हॉवित्जर गोले, और 130,000 122mm रॉकेट शामिल थे। इन सौदों से पाकिस्तान को 364 मिलियन डॉलर की कमाई हुई, लेकिन इसने उसके अपने युद्ध भंडार को खतरनाक रूप से खाली कर दिया। अप्रैल 2025 में पाकिस्तान ने अपनी 155mm तोपों के गोले, जो उसकी तोपखाना-केंद्रित सैन्य रणनीति का मुख्य हिस्सा हैं, यूक्रेन को भेज दिए। नतीजतन, पाकिस्तान आयुध फैक्टरी, जो उसकी 600,000 सैनिकों वाली सेना को हथियार सप्लाई करती है, इस कमी को पूरा करने में नाकाम रही। पुरानी उत्पादन सुविधाओं और वैश्विक मांग के दबाव ने स्थिति को और बदतर बना दिया।
इधर पाकिस्तान की सैन्य रणनीति भारत की संख्यात्मक श्रेष्ठता का मुकाबला करने के लिए तोपखाने और बख्तरबंद इकाइयों पर निर्भर है। लेकिन बिना पर्याप्त 155mm गोले (M109 हॉवित्जर के लिए) और 122mm रॉकेट (BM-21 सिस्टम के लिए), उसकी रक्षा क्षमता गंभीर रूप से प्रभावित हो रही है। 2 मई 2025 को हुई विशेष कोर कमांडरों की बैठक में इस मुद्दे पर गहरी चिंता जताई गई, और सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तानी सैन्य नेतृत्व में घबराहट का माहौल है। पूर्व सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने भी स्वीकार किया था कि पाकिस्तान के पास भारत के साथ लंबे संघर्ष के लिए न तो गोला-बारूद है और न ही आर्थिक ताकत।
दूसरी ओर, भारत ने अपनी सैन्य तैयारियों को मजबूत किया है। 2015-19 और 2020-24 के बीच भारत के हथियार आयात में 61% की वृद्धि हुई, और उसने अपनी रक्षा खरीद को बढ़ाया, जिसमें तोपखाने, यूएवी, और उन्नत गोला-बारूद शामिल हैं। भारत का रक्षा बजट 2025 में पाकिस्तान के 10 बिलियन डॉलर के मुकाबले कहीं ज्यादा है, और उसकी सक्रिय सैन्य संख्या भी पाकिस्तान से दोगुनी से ज्यादा है। SIPRI डेटा के अनुसार, भारत के पास 4,619 तोपखाने हैं, जो पाकिस्तान की तुलना में कहीं बेहतर स्थिति में हैं। इसके अलावा, भारत में 88% गोला-बारूद स्वदेशी है, जिससे वह आयात पर कम निर्भर है।
वहीं,पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति भी उसकी सैन्य तैयारियों को प्रभावित कर रही है। उच्च मुद्रास्फीति, बढ़ते कर्ज, और घटते विदेशी मुद्रा भंडार ने उसकी सेना को राशन कम करने, सैन्य अभ्यास रद्द करने, और ईंधन की कमी के कारण युद्ध खेलों को रोकने के लिए मजबूर किया है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि दोनों देशों के बीच पूर्ण-युद्ध की संभावना कम है, क्योंकि दोनों ही परमाणु हथियारों से लैस हैं। भारत की 'कोल्ड स्टार्ट' रणनीति सीमित लेकिन निर्णायक हमलों की बात करती है, जो परमाणु सीमा से नीचे रहते हैं, जबकि पाकिस्तान की 'फुल स्पेक्ट्रम डिटरेंस' नीति में नसर जैसे सामरिक परमाणु हथियार शामिल हैं। अमेरिका, रूस, और चीन जैसे देशों ने दोनों पक्षों से तनाव कम करने की अपील की है, जिससे स्थिति नियंत्रण में रहने की संभावना ज्यादा है।