INDvsPAK: भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट हमेशा से सिर्फ खेल ही नहीं बल्कि भावनाओं का ज्वार रहा है। लेकिन इस बार एशिया कप 2025 में दोनों देशों के बीच होने वाले हाई-वोल्टेज मुकाबले पर विवाद गहरा गया है। भारतीय क्रिकेट के दिग्गज हरभजन सिंह ने साफ शब्दों में कहा है कि जब तक सीमा पर तनाव और जवानों की शहादत का सिलसिला जारी है, तब तक पाकिस्तान के खिलाफ क्रिकेट मैच नहीं खेला जाना चाहिए। ‘देश पहले’ का संदेश देते हुए उन्होंने कहा, “जब हमारे जवान सरहद पर शहीद हो रहे हैं, उनके परिवार बिछड़ रहे हैं, तब क्रिकेट मैच खेलना छोटी बात है। खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते।”
हरभजन का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब भारत और पाकिस्तान को 9 सितंबर से शुरू होने वाले टी20 एशिया कप में ग्रुप-ए में एक साथ रखा गया है। भारत, मौजूदा चैंपियन के तौर पर 10 सितंबर को मेजबान यूएई के खिलाफ अपने अभियान की शुरुआत करेगा, जबकि 14 सितंबर को पाकिस्तान के साथ बहुप्रतीक्षित मुकाबला होना है। लेकिन हरभजन का मानना है कि देश की सुरक्षा और सम्मान क्रिकेट से कहीं ऊपर है। उन्होंने कहा, “हमारे जवान हमें और हमारे देश को बचाने के लिए सीमा पर डटे हैं। उनके हौसले और बलिदान के सामने क्रिकेट जैसे खेल की कोई अहमियत नहीं। जब तक बड़े मुद्दे हल नहीं होते, हमें पाकिस्तान के साथ क्रिकेट नहीं खेलना चाहिए।”
हरभजन ने मीडिया की भूमिका पर भी सवाल उठाए। उनका कहना है कि जब भारत ने विभिन्न क्षेत्रों में पाकिस्तान का बहिष्कार किया हुआ है तो मीडिया को भी उन्हें अनावश्यक तवज्जो देने से बचना चाहिए। “मीडिया को आग में घी डालने का काम नहीं करना चाहिए। हमें न तो उनके खिलाड़ियों से हाथ मिलाना चाहिए और न ही उनकी प्रतिक्रियाओं को टीवी पर दिखाना चाहिए,” उन्होंने जोर देकर कहा। हरभजन का यह बयान सोशल मीडिया पर भी चर्चा का विषय बन गया है, जहां कई लोग उनके ‘देश पहले’ के रुख का समर्थन कर रहे हैं, तो कुछ क्रिकेट की भावना को बनाए रखने की बात कह रहे हैं।
एशिया कप 2025 में भारत का सफर चुनौतीपूर्ण है। ग्रुप-ए में भारत, पाकिस्तान, यूएई और ओमान हैं, जबकि ग्रुप-बी में श्रीलंका, बांग्लादेश, अफगानिस्तान और हांगकांग शामिल हैं। भारत और पाकिस्तान के बीच 21 सितंबर को एक और मुकाबला हो सकता है, अगर दोनों टीमें आगे बढ़ती हैं। फाइनल 28 सितंबर को खेला जाएगा। लेकिन हरभजन के बयान ने इस टूर्नामेंट को सिर्फ क्रिकेट तक सीमित नहीं रहने दिया है। अब यह सवाल उठता है कि क्या क्रिकेट जैसे खेल को सीमा पर तनाव से जोड़ना उचित है या फिर यह खेल एकता और सद्भावना का प्रतीक हो सकता है? यह बहस अभी लंबी चलने वाली है।