Illegal Bangladeshis: दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने राजधानी में अवैध रूप से रह रहे करीब 900 बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान की है, जिन्हें जल्द ही बांग्लादेश वापस भेजने की प्रक्रिया शुरू होगी। विशेष पुलिस आयुक्त देवेश चंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि यह अभियान पिछले साल नवंबर से चल रहा है और जम्मू-कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले के बाद इसमें और भी तेजी लाई गई है।
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच और स्पेशल सेल हर इलाके में गहन छानबीन कर रही है, और बिना वैध दस्तावेजों वाले लोगों को हिरासत में लिया जा रहा है। पिछले छह महीनों में दिल्ली से लगभग 700 अवैध बांग्लादेशियों को निर्वासित किया जा चुका है, जिसके आंकड़े सीमा सुरक्षा बल ने भी पुष्ट किए हैं।
यह विशेष अभियान गुप्त खुफिया सूचनाओं और आम जनता की शिकायतों के आधार पर संचालित हो रहा है। श्रीवास्तव ने बताया कि जिन लोगों की पहचान की गई है, उनके दस्तावेजों की जांच की जा रही है। जिनके पास वैध दस्तावेज नहीं हैं, उनके खिलाफ हिरासत और निर्वासन की कानूनी प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
इसके अलावा, फर्जी पहचान पत्र और दस्तावेज बनाने वालों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जा रही है। दिल्ली के दक्षिण-पश्चिम जिले में हाल ही में 10 दिन के अभियान में 92 बांग्लादेशियों को हिरासत में लिया गया, और दिसंबर 2024 से अब तक कुल 142 लोग पकड़े जा चुके हैं।
पुलिस ने इस अभियान में तकनीकी और मैनुअल जांच का सहारा लिया है। कई मामलों में पकड़े गए लोग नकली आधार कार्ड और अन्य जाली दस्तावेजों के साथ दिल्ली में छोटे-मोटे काम कर रहे थे। उदाहरण के लिए, दिल्ली कैंट इलाके में 12 साल से अवैध रूप से रह रहे एक परिवार को पकड़ा गया, जिनके पास बांग्लादेशी दस्तावेजों की फोटोकॉपी मिली है।
श्रीवास्तव ने स्पष्ट किया कि यह अभियान राष्ट्रीय सुरक्षा और कानून व्यवस्था को मजबूत करने के लिए है। उन्होंने जनता से अपील की कि वे संदिग्ध गतिविधियों की जानकारी 112 हेल्पलाइन या स्थानीय पुलिस को दें, और उनकी पहचान पूरी तरह गोपनीय रखी जाएगी। यह कार्रवाई गृह मंत्रालय के निर्देशों के तहत हो रही है, और दिल्ली पुलिस ने फॉरेनर्स रीजनल रजिस्ट्रेशन ऑफिस के साथ मिलकर निर्वासन प्रक्रिया को तेज किया है।
आने वाले समय में दिल्ली में अवैध प्रवासियों के खिलाफ यह अभियान और भी सघन होने की संभावना है। पुलिस का कहना है कि यह कदम न केवल अवैध प्रवास को रोकने के लिए है, बल्कि उन नेटवर्क्स को भी तोड़ने के लिए है जो फर्जी दस्तावेज बनाकर ऐसे प्रवासियों को सहायता प्रदान करते हैं।