Vrindavan Widows Holi: पूरा देश हर्षो-उल्लास के साथ होली का पावन त्योहार मना रहा है। सुबह से ही लोग होली के रंगों में डुबे हैं। वहीं वृंदावन में विधवा माताओं ने फूल-गुलाल से होली खेली। कुप्रथाओं के चलते बेरंग एवं एकाकी जीवन जीने को मजबूर विधवा माताएं धर्म नगरी वृंदावन में एक बार फिर से होली पर्व की खुशियां मनाकर आनंदित हो गईं।
रूढ़ीवादी परंपराओं को दरकिनार कर विधवा माताओं को होली पर्व की खुशी प्रदान करने के लिए शुरू किए गए कार्यक्रम के तहत उत्तर प्रदेश सरकार के प्रयासों से यहां 2000 से अधिक विधवा महिलाओं ने एक साथ होली खेलकर एक अनूठा रिकॉर्ड बनाया है। मथुरा-वृंदावन की होली तो वैसे भी जगत प्रसिद्ध है, मगर इस बार यहां की होली केवल आनंद ही नहीं सामाजिक सौहार्द, सांस्कृतिक समरसता एवं सामाजिक परिवर्तन के सम्मानित क्षण बनकर विश्व रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करा चुकी है।
परंपरागत रूप से, भारत में विधवाओं से होली जैसे त्योहारों सहित संसारिक सुखों को त्यागने की अपेक्षा की जाती थी, लेकिन भगवान कृष्ण के दिव्य प्रेम से जुड़े शहर वृंदावन में यह एक क्रांतिकारी बदलाव के तौर पर देखा जाता है। हर साल, वृंदावन के विभिन्न आश्रमों से हजारों विधवाएं होली पर खुद को जीवंत रंगों, संगीत और भक्ति में सराबोर कर लेती हैं। इस समारोह में पारंपरिक लोक गायन, लोक नृत्य, भक्ति गीत जैसी प्रस्तुतियां भी हुए। आयोजन में ऑर्गेनिक रंगों का इस्तेमाल हुआ तथा इसमें अंतर्राष्ट्रीय गणमान्य व्यक्तियों, मीडिया तथा भक्तों की भागीदारी हुई।