DESK: जीएसटी को लेकर मोदी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। 12 फ़ीसदी और 28 फ़ीसदी स्लैब खत्म किया गया है। अब सिर्फ पांच फ़ीसदी और 18 फ़ीसदी स्लैब रहेगा। 22 सितंबर से की गई घोषणाएं लागू होगी। ऐसा करने से रोजमर्रा के सामान सस्ते होंगे। लोगों को राहत देने के लिए ऐसा किया गया है। इससे महंगाई कम होगी। अब जीएसटी पर सिर्फ दो स्लैप लगेंगे। 5% 18% जीएसटी होंगे। 12 और 28 स्लैब को खत्म कर दिया गया है। इंश्योरेंस के क्षेत्र में भी राहत दी गई है।
जीएसटी काउंसिल की दो दिवसीय बैठक में लिए गए फैसलों का ऐलान कल, यानी 4 सितंबर को किया जाएगा। उम्मीद है कि इस बार आम उपभोक्ताओं से जुड़े कई प्रोडक्ट्स के दाम घटेंगे। साथ ही मौजूदा 4 टैक्स स्लैब को घटाकर सिर्फ 2 स्लैब किए जाने की संभावना है।
भारत में GST लागू होने के बाद कई बार बदलाव किए गए हैं, लेकिन इस बार का सुधार सबसे अहम माना जा रहा है। अर्थव्यवस्था की ग्रोथ और उपभोक्ताओं को राहत देने के लिहाज से इसे महत्वपूर्ण कदम बताया जा रहा है। बैठक 3 सितंबर से शुरू हुई थी और 4 सितंबर तक जारी रहेगी।
कैसे बदलेंगे GST स्लैब?
प्रस्ताव के मुताबिक, 12% और 28% टैक्स स्लैब को हटाकर इन्हें 5% और 18% के नए स्लैब में शामिल किया जा सकता है। इससे रोजमर्रा से जुड़ी कई चीजें पहली बार जीएसटी लागू होने के बाद सस्ती होंगी।
किन प्रोडक्ट्स पर पड़ेगा असर?
पैकेज्ड दूध उत्पाद (UHT मिल्क, पनीर, दही): अभी 12% GST लगता है। इन्हें 5% या 0% स्लैब में लाये जाने का प्रस्ताव है। वही नमकीन, बिस्कुट और स्नैक्स: वर्तमान में 12% या 18% स्लैब में आते हैं। इसे घटाकर 5% किया जा सकता है। छोटे पैक में मात्रा बढ़ सकती है। जबकि ब्रांडेड मिठाइयां, चॉकलेट, पेस्ट्री, आइसक्रीम: फिलहाल 18% स्लैब में हैं। इन्हें घटाकर 5% करने का प्रस्ताव है। वही खाना पकाने का तेल, चीनी, चाय में फिलहाल 12% स्लैब में हैं।
इसे घटाकर 5% करने की संभावना है। जिससे किचेन के बजट पर बोझ कम होगा। वही चपाती, रोटी और पिज्जा ब्रेड: अभी 18% GST लगता है। इन्हें 0% स्लैब में लाने का प्रस्ताव है। फ्रोजन पराठा: वर्तमान में 18% स्लैब में आता है। इसे भी 0% में लाने की सिफारिश है।1,000 रुपये से अधिक के ब्रांडेड कपड़े जिस पर अभी 12% GST लगता है, उसे 5% किया जा सकता है, 2017 के बाद से यह पहली बार होगा जब इनकी कीमतें कम होंगी.1000-5000 रुपये के जूते: ये 12% से 5% स्लैब में जा सकते हैं, जिससे ब्रांडेड जूतों की कीमतें पहली बार कम होंगी.