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Gopal Khemka Case: गोपाल खेमका की फैमिली पर किसकी है काली नजर, परिवार के खिलाफ कौन रच रहा साजिश? जवाब तलाशने में पुलिस अबतक नाकाम

Gopal Khemka Case: बिहार के प्रसिद्ध कारोबारी गोपाल खेमका की हत्या ने पूरे प्रदेश में सनसनी फैला दी है। पुलिस लगातार छापेमारी कर रही है और सुराग तलाशने की कोशिशों में जुटी है, लेकिन अब तक कातिल फरार है। यह घटना न केवल एक हत्या है, बल्कि इससे जुड़े सवालों ने एक बड़े षड्यंत्र की आशंका को जन्म दे दिया है, आख़िर कौन खेमका परिवार को निशाना बना रहा है?

परिवार पर लगातार हो रहे हमले

दरअसल, खेमका परिवार में छह साल पहले भी ऐसी ही एक दुखद घटना हुई थी। 20 दिसंबर 2018 को गोपाल खेमका के बेटे गुंजन खेमका की हत्या हाजीपुर इंडस्ट्रियल एरिया में उनकी फैक्ट्री के गेट के बाहर की गई थी। अब लगभग उसी अंदाज़ में 5 जुलाई 2025 को रात 11:40 बजे गोपाल खेमका को भी गोली मार दी गई।

खेमका परिवार पर होते रहे हमले

गोपाल खेमका के छोटे बेटे डॉ. गौरव खेमका पर कदमकुआं थाना क्षेत्र में उनके अस्पताल के पास फायरिंग की गई थी। हालांकि, वे बाल-बाल बच गए थे। 1999 में गोपाल खेमका के बड़े भाई विजय खेमका पर भी जानलेवा हमला हुआ था। इन घटनाओं की पुनरावृत्ति से यह सवाल खड़ा हो गया है कि आखिर खेमका परिवार पर किसकी काली नजर है? परिवार का कहना है कि उनकी किसी से कोई दुश्मनी नहीं है, न ही कोई पुराना विवाद।

मां की चीत्कार और परिवार का दर्द

गोपाल खेमका की मां ने बिलखते हुए कहा कि पहले जवान पोता गया, फिर बेटा चला गया। मेरा पूरा परिवार उजड़ गया। इस उम्र में ये देखना पड़ रहा है। मारवाड़ी भाइयों की सुरक्षा के लिए कुछ किया जाए, हमारा उद्धार कीजिए। पुत्र और ससुर को खोने के बाद गोपाल खेमका के बेटे और बहू सदमे में हैं। उनकी पत्नी तो किसी से बात करने की स्थिति में भी नहीं हैं। वहीं, उनके भाई शंकर खेमका ने कहा कि उन्होंने कभी गोपाल से किसी दुश्मनी या रंजिश के बारे में नहीं सुना था। हालांकि उन्होंने बेटे की हत्या के पीछे जमीन विवाद की बात जरूर कही।

हत्या की समानता, संयोग या साजिश?

गुंजन खेमका और गोपाल खेमका की हत्या में एक अजीब समानता सामने आई है। दोनों ही मामलों में हमलावर पहले से गेट पर बाइक या स्कूटी के साथ मौजूद थे और आने का इंतज़ार कर रहे थे। जैसे ही वे पहुंचे, अपराधियों ने गोलियों से हमला कर दिया और फिर वाहन लेकर फरार हो गए।

सुरक्षा और पुलिस की भूमिका पर सवाल

पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। परिजनों का आरोप है कि पुलिस घटनास्थल पर काफी देर से पहुंची थी। हैरानी की बात यह है कि स्कूटी सवार अपराधी ने कार में बैठे एक बड़े कारोबारी की हत्या कर दी और फिर पटना के रास्ते हाजीपुर तक आसानी से निकल गया। गोपाल खेमका को पहले भुगतान के आधार पर सुरक्षा दी गई थी, लेकिन अप्रैल 2024 में यह सुरक्षा वापस ले ली गई थी। इसके बाद उन्होंने दोबारा सुरक्षा की मांग नहीं की। अब पुलिस ने उनके दूसरे बेटे को सुरक्षा प्रदान की है।

बेउर जेल से मिले सुराग

हत्या के सिलसिले में पुलिस ने पटना की बेउर जेल में छापेमारी की। वहां से तीन मोबाइल फोन (सिम कार्ड के साथ), एक डेटा केबल और एक कागज का टुकड़ा मिला, जिस पर कई मोबाइल नंबर लिखे थे। पुलिस ने जेल में बंद कुछ कैदियों से भी पूछताछ की है। हत्या के कई घंटे बीत जाने के बाद भी कातिल की गिरफ्तारी न होना, और हमले के पहले से मिलते-जुलते तरीके ने पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह केवल एक हत्या नहीं, बल्कि एक परिवार को खत्म करने की एक गंभीर साजिश हो सकती है।