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BrahMos Missile: पाकिस्तान में कोहराम मचाने के बाद दुनिया हुई ब्रह्मोस की मुरीद, चीन के दुश्मन समेत 17 देशों की दिलचस्पी

BrahMos Missile: ब्रह्मोस मिसाइल ने ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान के सैन्य ठिकानों पर सटीक हमले कर पूरी दुनिया में अपनी ताकत का लोहा मनवा दिया है। भारत-पाक युद्ध विराम के बाद इस मिसाइल की चर्चा अब वैश्विक स्तर पर छा गई है। फिलीपींस, इंडोनेशिया, और वियतनाम जैसे चीन के प्रतिद्वंद्वी देशों सहित करीब 17 देशों ने ब्रह्मोस को खरीदने में अपनी रुचि दिखाई है।

खासकर फिलीपींस ने 4000 करोड़ रुपये के सौदे के तहत ब्रह्मोस की पहली खेप हासिल कर ली है, जो दक्षिण चीन सागर में चीन के खिलाफ तैनात की जाएगी। इस मिसाइल की अजेयता और उन्नत तकनीक ने इसे वैश्विक रक्षा बाजार में एक गेम-चेंजर बना दिया है। ऑपरेशन सिंदूर में ब्रह्मोस ने नूर खान एयरबेस समेत पाकिस्तान के कई सैन्य ठिकानों को तबाह कर दिया था, जिससे पाकिस्तानी वायु रक्षा प्रणाली पूरी तरह नाकाम रही।

इस हमले ने न केवल पाकिस्तान को 86 घंटों में घुटने टेकने पर मजबूर किया, बल्कि ब्रह्मोस की सटीकता, गति, और फायर एंड फॉरगेट क्षमता को दुनिया के सामने ला दिया। इसके बाद फिलीपींस, जो पहले ही 2022 में 375 मिलियन डॉलर के सौदे के तहत तीन बैटरी मिसाइलें खरीद चुका है, ने इसकी दूसरी खेप अप्रैल 2025 में प्राप्त की। वहीं, इंडोनेशिया 450 मिलियन डॉलर और वियतनाम 700 मिलियन डॉलर के संभावित सौदों की ओर बढ़ रहा है।

ब्रह्मोस की मांग का कारण इसकी अनूठी विशेषताएं हैं। यह मैक 2.8-3.0 की सुपरसोनिक गति के साथ दुनिया की सबसे तेज क्रूज मिसाइल है। इसकी रेंज, जो पहले 290 किमी थी, अब 450-800 किमी तक बढ़ा दी गई है, और भविष्य में इसे 1500 किमी तक ले जाने की योजना है। यह मिसाइल जमीन, समुद्र, पनडुब्बी, और सुखोई Su-30MKI जैसे विमानों से लॉन्च की जा सकती है। कम ऊंचाई पर उड़ान और रडार से बचने की क्षमता इसे S-400 जैसे आधुनिक रक्षा तंत्रों के खिलाफ भी प्रभावी बनाती है।

दक्षिण-पूर्व एशियाई देश, खासकर वियतनाम और इंडोनेशिया, दक्षिण चीन सागर में चीन की आक्रामकता के खिलाफ ब्रह्मोस को एक रणनीतिक हथियार मान रहे हैं। मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका के कुछ देश, जो सुखोई-30 संचालित करते हैं, इसके हवाई संस्करण में रुचि दिखा रहे हैं।

बता दें कि भारत का लक्ष्य 2025 तक 5 बिलियन डॉलर के रक्षा निर्यात का है, जिसमें ब्रह्मोस की अहम भूमिका होगी। उत्तर प्रदेश के लखनऊ में हाल ही में शुरू हुई 200 एकड़ की ब्रह्मोस सुविधा इस मिसाइल के उत्पादन और निर्यात को और बढ़ाएगी।