Bodh Gaya temple: पटना में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आठवले) के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले ने बोधगया के महाबोधि महाविहार मंदिर को लेकर बड़ा बयान दिया। उन्होंने सुझाव दिया कि मंदिर का प्रबंधन पूरी तरह बौद्ध समाज को सौंप देना चाहिए। साथ ही, उन्होंने मंदिर के गर्भगृह में स्थापित शिवलिंग को हटाकर परिसर में बने किसी अन्य हिंदू मंदिर में उसकी पूजा करने की सलाह दी।
आठवले ने कहा कि बुद्ध मंदिर में शिवलिंग की पूजा ठीक नहीं है। यह मंदिर बौद्धों का है और इसका नियंत्रण भी बौद्धों के पास होना चाहिए। रामदास आठवले ने बोधगया मंदिर प्रबंधन समिति (BTMC) से हिन्दू सदस्यों को हटाकर समिति को पूरी तरह बौद्ध धर्मावलंबियों से भरने की मांग की। उन्होंने कहा कि 1949 में बना बिहार सरकार का कानून अब पुराना हो चुका है, जो संविधान लागू होने से पहले का है। उन्होंने प्रस्ताव रखा कि BTMC के सभी आठ ट्रस्टी बौद्ध समुदाय से होने चाहिएं।
बोधगया मंदिर प्रबंधन समिति में 9 सदस्य होते हैं — 4 बौद्ध, 4 हिन्दू और अध्यक्ष के रूप में गया के जिलाधिकारी। पहले यह शर्त थी कि डीएम हिन्दू हों, लेकिन 2013 में बिहार में नीतीश कुमार की सरकार ने इसमें संसोधन कर इस शर्त को हटा दिया था । राज्यसभा में, वक्फ संशोधन बिल पर बहस के दौरान आठवले ने यह बात फिर दोहराई थी कि बोधगया मंदिर समिति में सिर्फ बौद्ध सदस्य होने चाहिए। वहीँ राष्ट्रीय लोक मोर्चा के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने भी यह मसला उठाया और कहा कि अगर वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों को नहीं रखा जाता, तो फिर बौद्ध मंदिर में हिन्दू ट्रस्टी क्यों?उन्होंने आगे कहा कि दुनिया भर में यह संदेश जा रहा है कि बोधगया में आंदोलन चल रहा है, और सरकार को चाहिए कि इस मंदिर को पूरी तरह बुद्धिस्ट समुदाय के हवाले कर दे, ताकि वे अपने धर्म और परंपरा के अनुसार इसका संचालन कर सकें।