Bihar voter list revision: बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision - SIR) किया जा रहा है। इस प्रक्रिया को लेकर राज्य में सियासी सरगर्मी तेज हो गई है, क्योंकि नौ विपक्षी राजनीतिक दलों ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। विपक्ष का आरोप है कि यह कदम चुनाव से पहले राजनीतिक लाभ लेने के उद्देश्य से उठाया गया है। सुप्रीम कोर्ट आज (गुरुवार) इन याचिकाओं पर सुनवाई करेगा।
इन राजनीतिक याचिकाओं के अलावा, दो सामाजिक कार्यकर्ताओं अरशद अजमल और रूपेश कुमार ने भी निर्वाचन आयोग के 24 जून 2025 के आदेश के खिलाफ याचिका दायर की है। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर ने कोर्ट में कहा कि यह प्रक्रिया लोकतांत्रिक अधिकारों को प्रभावित कर सकती है और मतदाता सूची में निष्पक्षता नहीं बरती जा रही है। सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने इन याचिकाओं को अन्य लंबित मामलों के साथ आज की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।
इस बीच, मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने दिल्ली में मीडिया से बातचीत करते हुए स्पष्ट किया कि मतदाता सूची का यह विशेष गहन पुनरीक्षण पूरी तरह कानूनी प्रक्रिया के तहत हो रहा है और इसका उद्देश्य मतदाता सूची को शुद्ध और अद्यतन बनाना है। उन्होंने बताया कि बिहार के मतदाताओं ने इस पुनरीक्षण प्रक्रिया में उत्साहपूर्वक भाग लिया है और अब तक 57% से अधिक गणना फॉर्म एकत्र किए जा चुके हैं। एसआईआर कार्यक्रम के लिए अभी भी 16 दिन शेष हैं।
वहीं, आयोग का कहना है कि यह पुनरीक्षण 22 वर्षों बाद किया जा रहा है और इसका उद्देश्य डुप्लिकेट प्रविष्टियों और अपात्र मतदाताओं को सूची से हटाना है, साथ ही जो योग्य नागरिक अभी तक शामिल नहीं हुए हैं, उन्हें जोड़ना भी है। कुमार ने दोहराया कि चुनाव आयोग लोकतंत्र की मजबूती के लिए प्रतिबद्ध है और यह प्रक्रिया मतदाताओं के अधिकारों को संरक्षित करने की दिशा में एक मजबूत कदम है।
हालांकि, विपक्षी दलों का तर्क है कि चुनाव से कुछ ही महीने पहले इस तरह का विशेष पुनरीक्षण निर्वाचन की निष्पक्षता पर सवाल खड़ा करता है। अब यह देखना होगा कि सुप्रीम कोर्ट इस संवेदनशील मुद्दे पर क्या फैसला सुनाता है, क्योंकि यह सीधे राजनीतिक संतुलन और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है।