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Bihar politics:क्या कांग्रेस पार्टी बिहार में खोयी हई साख बचा पाने में सफल होगी ?

Bihar politics: दिल्ली विधानसभा की चुनावी मैदान में करारी शिकस्त के बाद अब कांग्रेस बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारी करने में जुटी है| इस चुनाव में कांग्रेस अकेले ही चुनाव के मैदान में थी, लिहाजा आम आदमी पार्टी (AAP) को भी कुछ सीटों पर नुकसान उठाना पड़ा।अब राजद ने इसी आधार पर सीट शेयरिंग में कांग्रेस की सीटों में कटौती करने की योजना बना रही है |

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली  में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद खराब रहा, लिहाजा कांग्रेस केवल  6% के करीब वोट प्राप्त में सफल रही।अब ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि दिल्ली में कांग्रेस के बेहद ही  ख़राब प्रदर्शन का असर बिहार चुनाव पर भी पड़ सकता है। इसी के चलते, RJD कांग्रेस को कम सीटें देने का मन बना रही है।दिल्ली विधानसभा चुनाव के परिणाम 8 फरवरी को घोषित किए गए थे, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने 70 में से 48 सीटों पर जीत दर्ज की। वहीं, AAP 22 सीटों पर सिमट गई, जबकि कांग्रेस अपना खाता भी नहीं खोल पाई।

अब बिहार विधानसभा चुनाव भी इसी साल अक्टूबर-नवंबर में होने की संभावना जताई जा रही है,लिहाजा सभी राजनीतिक दलों की निगाहें इस चुनाव पर टिकी हैं। कांग्रेस महागठबंधन में खुद को RJD के बाद दूसरी सबसे अहम पार्टी मानती है, इसलिए पार्टी इस बार सीटों के बंटवारे में कोई समझौता करने के मूड में नहीं दिख रही है। 

हाल ही में कांग्रेस के सीनियर नेता और भागलपुर के विधायक ने मीडिया से बातचीत में कहा कि इस बार कांग्रेस पहले से ज्यादा मजबूत है और 70 से कम सीटों पर किसी भी हाल में चुनाव नहीं लड़ेगी।कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) के सदस्य तारिक अनवर ने कहा कि दिल्ली चुनाव में मिली करारी हार से कांग्रेस को सबक लेना चाहिए। उन्होंने इस पर जोर देते हुए कहा कि बिहार चुनाव का असर केवल राज्य तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह राष्ट्रीय राजनीति को भी प्रभावित करेगा।

उन्होंने कांग्रेस नेतृत्व को चेतावनी भरे लहजे में कहा कि हरियाणा, महाराष्ट्र और दिल्ली में मिली हार से सीख लेकर बिहार चुनाव के लिए ठोस रणनीति बनानी होगी। उन्होंने महागठबंधन को एकजुट होकर चुनाव लड़ने की सलाह भी दे दी है 

कांग्रेस के लिए करो या मरो जैसी स्थिथि

नवंबर 2025 में होने वाला बिहार विधानसभा चुनाव कांग्रेस के लिए निर्णायक साबित हो सकता है। अब देखना यह होगा कि क्या कांग्रेस अपनी खोई हुई साख बचा पाएगी या उसे एक और चुनावी हार से ही संतोष करना  पड़ेगा?