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Bihar Politics : “नीतीश या मोदी नहीं बल्कि तेजस्वी का अपना ही है उनका सबसे बड़ा दुश्मन, कभी नहीं बनने देगा मुख्यमंत्री”

Bihar Politics : बिहार की आधी से ज्यादा जनता यह चाहती है कि अब एक बार तेजस्वी यादव बिहार के मुख्यमंत्री बनें, अब बहुत हो चुका. ऐसी ख्वाहिश रखने वाले ज्यादातर तो राजद के समर्थक हैं मगर इनमें से काफी लोग ऐसे भी हैं जो कभी नीतीश कुमार को बेहद पसंद करते थे. मगर आजकल उनसे खफा चल रहे हैं. इन लोगों को लगता है कि अब नीतीश में वो बात नहीं रही है और वो बस कुर्सी के मोह में हैं, बिहार की जनता अब उन्हें ढो रही है.

मुख्यमंत्री की कुर्सी और सबसे बड़ी बाधा

लेकिन सवाल यह है कि तेजस्वी के सीएम बनने में सबसे बड़ा रोड़ा कौन है? क्या वो नीतीश कुमार हैं? या फिर मोदी? या प्रशांत किशोर?... जी नहीं इनमें से कोई नहीं. बिहार के डिप्टी सीएम विजय सिन्हा ने कहा है कि ”खुद लालू प्रसाद यादव ही तेजस्वी यादव के सबसे बड़े दुश्मन हैं और वे कभी भी तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नहीं बैठने देंगे”.

पुराने पाप का असर 

विजय सिन्हा ने इस बारे मे बात करते हुए कहा है कि “लालू यादव के पूर्व में किए गए पाप के कारण उनके परिवार का कोई भी अब राजनीति में कभी सम्मान प्राप्त नहीं कर पाएगा. बिहारी शब्द को गाली बनाने में अगर किसी की सबसे बड़ी भूमिका है तो वो लालू यादव ही हैं. उनकी वजह से बिहार का हर व्यक्ति लज्जित महसूस करता है और ये लोग कभी नहीं चाहते कि बिहार को सम्मान मिले या बिहारियों के प्रति अन्य राज्यों के लोगों की मानसिकता बदले”.

जा चुके हैं सनातन संस्कृति से दूर 

इसके अलावा बिहार में इफ्तार पार्टी के नाम पर हो रही राजनीति पर भी विजय सिन्हा ने बड़ा बयान दिया है. तेजस्वी और राजद पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा है कि “ये लोग सनातन की संस्कृति से काफी दूर जा चुके हैं. धर्म का इस्तेमाल हथियार के रूप में कर रहे हैं. इन पर क्या ही बोलना. समय आ गया है कि बिहार की जनता अब इन लोगों से हमेशा के लिए मुक्ति पा ले”.

बयान के बाद अब विजय सिन्हा पर आक्रामक हुआ विपक्ष 

बताते चलें कि विजय सिन्हा के इस बयान के बाद राजनितिक गलियारों में सनसनी मच गई है और विपक्ष के लोग इन्हें जवाब देने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. आए दिन बिहार की सियासत में इस तरह की बयानबाजी जारी है और यह सिलसिला फिलहाल आने वाले विधानसभा चुनाव तक ऐसे ही जारी रहेगा. आपको क्या लगता है? क्या सच में बिहार में एक बार तेजस्वी की सरकार आनी चाहिए? या नीतीश कुमार को ऐसे ही बिहार की जनता अपना सरदार बनाए रखे?