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JP Ganga Path: जेपी गंगा पथ में दरार से मची खलबली, ₹3831 करोड़ के पुल का 2 दिन पहले CM ने किया था उद्घाटन

JP Ganga Path: बिहार की राजधानी पटना में ₹3831 करोड़ की लागत से बना जेपी गंगा पथ एक बार फिर सुर्खियों में है, लेकिन इस बार गलत वजहों से। 10 अप्रैल को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बड़े तामझाम के साथ इस पथ के कंगन घाट से दीदारगंज तक के हिस्से का उद्घाटन किया था। लेकिन महज दो दिन बाद ही दीदारगंज के पास पिलर नंबर A-3 के पास दोनों लेन में दरारें दिखाई दीं। 

जेपी गंगा पथ, जिसे पटना का ‘मरीन ड्राइव’ भी कहा जाता है, 20.5 किलोमीटर लंबा यह पथ दीघा से दीदारगंज तक गंगा के किनारे बनाया गया है। इसका उद्देश्य शहर की ट्रैफिक जाम की समस्या को कम करना और आपातकालीन सेवाओं को बेहतर बनाना था। लेकिन उद्घाटन के बाद जब वाहनों का आवागमन शुरू हुआ, तो दीदारगंज के पास पिलर A-3 के आसपास सड़क की सतह पर दरारें दिखाई दीं। हैरानी की बात यह है कि यह दरारें सिर्फ एक हिस्से तक सीमित नहीं, बल्कि पथ की दोनों लेन में फैल गई हैं। स्थानीय लोगों ने इसे देखकर तुरंत प्रशासन को सूचना दी, जिसके बाद निर्माण एजेंसी और पथ निर्माण विभाग में हड़कंप मच गया है।

10 अप्रैल को उद्घाटन समारोह में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, विजय सिन्हा, पथ निर्माण मंत्री नितिन नवीन, विधानसभा अध्यक्ष नंदकिशोर यादव और दीघा विधायक संजीव चौरसिया मौजूद थे। तेज आंधी और बारिश के बावजूद समारोह को टाला नहीं गया। मंच से रिमोट का बटन दबाकर सीएम ने इस पथ को जनता को समर्पित किया। लेकिन अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या 2025 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए यह जल्दबाजी में किया गया था? 

यह पहला मौका नहीं है जब बिहार में कोई नया ढांचा उद्घाटन के बाद विवादों में आया हो। हाल ही में अररिया जिले में एक नवनिर्मित पुल में भी दरारें मिली थीं। इसके अलावा, सुपौल, भागलपुर और अन्य जिलों में पुल ढहने की घटनाएँ भी सामने आ चुकी हैं। जेपी गंगा पथ जैसे ₹3831 करोड़ के मेगा प्रोजेक्ट में इतनी जल्दी दरारें मिलना गंभीर चिंता का विषय है। विशेषज्ञों का कहना है कि कंक्रीट की क्वालिटी, डिजाइन में खामी या जल्दबाजी में काम पूरा करना ऐसी समस्याओं की बड़ी वजह हो सकता है।

पथ निर्माण विभाग के अधिकारियों ने दरार की खबर की पुष्टि की है, लेकिन इसे ‘मामूली’ बताकर बचाव की कोशिश की जा रही है। एक अधिकारी ने कहा, “यह सतह की छोटी दरारें हैं, जो भारी वाहनों के दबाव से हो सकती हैं। ढांचे की सुरक्षा पर कोई असर नहीं है।” विभाग ने बिहार राज्य सड़क निर्माण निगम लिमिटेड को तुरंत जाँच के आदेश दिए हैं, और मरम्मत का काम शुरू करने की बात कही है।