Anupam Kher: 5 अगस्त को बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता अनुपम खेर को महाराष्ट्र सरकार ने भारतीय सिनेमा में उनके योगदान के लिए राज कपूर लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया था। इस पुरस्कार के साथ उन्हें 10 लाख रुपये की धनराशि और एक ट्रॉफी भी प्रदान की गई थी। ऐसे में अब अनुपम खेर ने इस धनराशि को अपने दिवंगत मित्र और अभिनेता-निर्देशक सतीश कौशिक की स्मृति में एक नेक काम के लिए समर्पित किया है। उन्होंने अपने एक्टिंग स्कूल एक्टर प्रिपेयर्स में ‘सतीश कौशिक स्कॉलरशिप’ शुरू करने की घोषणा की है जो गरीब और योग्य छात्रों को अभिनय की पढ़ाई के लिए आर्थिक सहायता देगी।
इस स्कॉलरशिप की घोषणा करते हुए अनुपम खेर ने इंस्टाग्राम पर एक भावुक वीडियो साझा किया है। जिसमें उन्होंने महाराष्ट्र सरकार, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री अजित पवार और सांस्कृतिक मंत्री आशीष शेलार का आभार व्यक्त किया है। उन्होंने कहा है कि यह स्कॉलरशिप उनके स्कूल में तीन महीने के डिप्लोमा कोर्स के लिए किसी एक प्रतिभावान लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर छात्र को दी जाएगी। इसके अलावा खेर ने अपने स्कूल के एक स्टूडियो में सतीश कौशिक की मुस्कुराती हुई प्रतिमा स्थापित करने की भी घोषणा की है।
अनुपम खेर और सतीश कौशिक की दोस्ती बॉलीवुड में एक मिसाल की तरह रही है। दोनों ने ‘राम लखन’, ‘हम आपके दिल में रहते हैं’ और ‘कागज 2’ जैसी कई फिल्मों में एक साथ काम किया है। सतीश कौशिक का 9 मार्च 2023 को हार्ट अटैक से निधन हो गया था और उनके अचानक जाने से अनिल कपूर और अनुपम खेर जैसे उनके घनिष्ट मित्रों को गहरा शोक हुआ था। जिसके बाद से खेर अक्सर उनकी यादों को किसी न किसी माध्यम से साझा करते रहे हैं। ऐसा पहली बार है जब एक्टर प्रिपेयर्स में किसी व्यक्ति के नाम पर स्कॉलरशिप शुरू की गई है, यह विशेष स्कॉलरशिप पिछले 20 वर्षों में दी जाने वाली बाकी अन्य स्कॉलरशिप्स से अलग है।
अनुपम खेर के इस कदम की सोशल मीडिया पर खूब सराहना हो रही है। प्रशंसकों ने इसे सच्ची दोस्ती का प्रतीक बताया है और लिखा है कि, “आज के समय में हर किसी के पास आप जैसा एक दोस्त होना चाहिए।” यह स्कॉलरशिप न केवल आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को अभिनय में करियर बनाने का मौका देगी बल्कि सतीश कौशिक की विरासत को भी नई पीढ़ी तक पहुंचाएगी। मुंबई को अनुपम खेर ने “सबसे बड़े दिल” वाला शहर कहा है। जहाँ अब खेर की यह पहल युवा प्रतिभाओं को सपने पूरे करने का अवसर देगी। खेर और सतीश कौशिक ने भी 80 के दशक में खूब संघर्ष किया था और इन दोनों को अच्छे से इस बात का पता था कि एक गरीब के लिए लोगों का पसंदीदा कलाकर बनने तक का सफर करना कितना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।