Aman Saw Gangster: झारखंड का कुख्यात गैंगस्टर अमन साव, जिसने बर्नपुर के सीमेंट फैक्ट्री में फायरिंग कर दहशत फैलाई उसके बाद,उसके अपराध का तार लॉरेंस बिश्नोई गैंग तक पहुंच चुका था। उसका आपराधिक साम्राज्य झारखंड में लगातार बढ़ता जा रहा था। 8 मार्च को हजारीबाग में एनटीपीसी के डीजीएम कुमार गौरव की हत्या के बाद शक की सुई अमन साव की ओर घूमी। आखिरकार 11 मार्च को पुलिस ने उसे एक एनकाउंटर में मार गिराया।
अमन साव ने महज 17 साल की उम्र में अपराध की दुनिया में कदम रखा था। इस दौरान उसके खिलाफ 50 से अधिक मामले दर्ज हुए। वह जेल में रहते हुए भी अपने गिरोह को संचालित करता रहा। धमकियों और भय के जरिए उसने अपना साम्राज्य खड़ा किया।
कैसे हुआ एनकाउंटर?
अमन साव को 11 मार्च को रायपुर से रांची लाया जा रहा था। रास्ते में पलामू के चैनपुर थाना क्षेत्र में पुलिस की गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इसी दौरान अमन साव ने पुलिस का हथियार छीनकर भागने की कोशिश की।लिहाजा जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने फायरिंग की, जिसमें अमन साव मारा गया।
अमन साव की क्रूरता का अंदाजा
आपको बता दें की अमन साव बेहद शातिर और क्रूर अपराधी था। वो हत्या को अंजाम देने के लिए बर्बर तरीके अपनाता था । 8 मार्च 2025 को जब एनटीपीसी के डीजीएम कुमार गौरव की निर्मम हत्या के तार भी अमन साव से जुड़े होने का संदेह हुआ .अमन साव बड़े कोयला कारोबारियों और कंस्ट्रक्शन कंपनियों से रंगदारी वसूलता था। रंगदारी नहीं मिलने पर वो हत्या करने में भी संकोच नहीं करता था।
खौफ बनाए रखने का तरीका
अमन साव ने अपने आतंक और भय का माहौल बनाने के के लिए सोशल मीडिया का सहारा लेता था । उसने प्रशासन को चुनौती देते हुए हत्या के वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड भी किए थे । साथ ही हथियारों को लहराते हुए वीडियो बनाकर भी सोशल मीडिया पर डालकर अपने आप को अजेय बताने की कोशिश करता था।
मोडस ऑपरेंडी (अपराध का तरीका)
अमन साव जेल के भीतर हो या बाहर, उसका खौफ जनता के मन में कायम रहता था। वह व्हाट्सएप और टेलीग्राम जैसे मैसेजिंग प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर कारोबारियों को धमकी भरे मैसेज भिजवाता था। रकम न मिलने पर क्रूरता के साथ हत्या करना उसकी रणनीति बनाता और हत्या को अंजाम देता रहा । उसकी यही अमानवीय करतूत उसे झारखंड का कुख्यात गैंगस्टर बना दी ।