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Aankhon Ki Gustakhiyan: 'आंखों की गुस्ताखियां' 11 जुलाई को रिलीज, प्रोड्यूसर ने सपनों के लिए गहने बेचे

Aankhon Ki Gustakhiyan: विक्रांत मैसी और शनाया कपूर की रोमांटिक ड्रामा फिल्म ‘आंखों की गुस्ताखियां’ 11 जुलाई को सिनेमाघरों में रिलीज के लिए तैयार है। फिल्म का ट्रेलर हाल ही में रिलीज हुआ है और दर्शकों से इसे बेहतरीन प्रतिक्रिया मिल रही है। ट्रेलर देखकर फैन्स न सिर्फ विक्रांत के सधे हुए अभिनय की तारीफ कर रहे हैं, बल्कि शनाया कपूर की परिपक्व परफॉर्मेंस को भी खूब सराहा जा रहा है। शनाया इस फिल्म से बतौर लीड एक्ट्रेस अपने करियर की एक अहम शुरुआत कर रही हैं।

इस फिल्म को प्रोड्यूस किया है मंसी बागला ने, जिन्होंने इसके लिए असाधारण समर्पण और बलिदान का परिचय दिया है। Free Press Journal को दिए एक इंटरव्यू में मंसी ने खुलासा किया कि फिल्म की शूटिंग पूरी करने के लिए उन्हें अपने गहने और यहां तक कि एक घर भी बेचना पड़ा। उन्होंने कहा, “हां, एक वक्त ऐसा आया जब शूट पूरा करने के लिए मैंने अपने गहने बेच दिए। मेरा दूसरा घर भी चला गया, लेकिन मुझे इसका कोई पछतावा नहीं है।” मंसी बताती हैं कि कोविड-19 के दौरान, जब फिल्म इंडस्ट्री आर्थिक रूप से लड़खड़ा रही थी, उस समय उन्होंने इस प्रोजेक्ट को शुरू किया और हर हाल में इसे पूरा करने का संकल्प लिया।

उनके अनुसार, यह फिल्म उनके लिए सिर्फ एक प्रोजेक्ट नहीं बल्कि एक सपना था, जिसे उन्होंने अपने खून-पसीने से सींचा है। “मैंने इस फिल्म को ऐसे प्रोड्यूस किया है, जैसे कोई मां अपने बच्चे को जन्म देती है,” मंसी ने कहा। वे आगे बताती हैं कि उन्होंने अपनी भौतिक सुख-सुविधाओं को पीछे छोड़ते हुए एक रचनात्मक और उद्देश्यपूर्ण जीवन चुना, जो अब उन्हें आंतरिक संतोष दे रहा है। मंसी का मानना है कि प्यार ही उनका धर्म है और उन्होंने तय कर लिया है कि जब तक उनकी पांच फिल्में सुपरहिट नहीं होतीं, तब तक वे मां नहीं बनेंगी।

इस फिल्म के जरिए मंसी ने न सिर्फ एक मजबूत महिला निर्माता की मिसाल पेश की है, बल्कि यह भी दिखाया है कि जुनून और आत्मविश्वास के बल पर कोई भी सपना साकार किया जा सकता है। ‘आंखों की गुस्ताखियां’ एक भावनात्मक प्रेम कहानी है जो आज के समय में रिश्तों की गहराई और व्यक्तिगत संघर्षों को उजागर करती है।

फिल्म में संगीत और सिनेमैटोग्राफी भी दर्शकों के लिए एक विशेष अनुभव लेकर आने वाले हैं। यह फिल्म ना केवल विक्रांत और शनाया के करियर में एक मील का पत्थर साबित हो सकती है, बल्कि भारतीय सिनेमा में महिलाओं द्वारा किए जा रहे परिवर्तनशील योगदान का भी प्रतीक है।