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Mumbai Train Blast Case: मुंबई लोकल ट्रेन ब्लास्ट केस के 12 आरोपी बरी, सभी बेगुनाह तो 189 लोगों की मौत का जिम्मेवार कौन?

Mumbai Train Blast Case: साल 2006 में मुंबई की लोकल ट्रेनों में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों में 189 लोगों की मौत और 800 से अधिक लोग घायल हुए थे। अब इस मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। हाई कोर्ट की विशेष पीठ ने सोमवार को सभी आरोपियों को बरी कर दिया। न्यायमूर्ति अनिल किलोर और न्यायमूर्ति एस.जी. चांडक ने यह फैसला सुनाया। 

दरअसल, 11 जुलाई 2006 की शाम को, मुंबई रोज़ की तरह दौड़ रही थी। ऑफिस से घर लौटते लोग लोकल ट्रेनों में सफर कर रहे थे। तभी आतंकवादियों ने मुंबई को दहला दिया। महज 11 मिनट के भीतर सात अलग-अलग स्थानों पर सिलसिलेवार बम धमाके हुए थे। पहला विस्फोट शाम 6:20 बजे हुआ और फिर चर्चगेट-बोरीवली लोकल ट्रेन में, जब ट्रेन खार और सांताक्रूज़ के बीच थी, दूसरा धमाका हुआ था। इसके बाद बांद्रा-खार रोड, जोगेश्वरी, माहिम जंक्शन, मीरा रोड-भायंदर, माटुंगा और बोरीवली स्टेशनों के पास अन्य धमाके हुए।

इस हमले में कुल 189 लोग मारे गए और 800 से ज्यादा घायल हुए। हमले के बाद एटीएस ने नवंबर 2006 में मकोका और यूएपीए के तहत केस दर्ज कर 13 आरोपियों को गिरफ्तार किया। इसके अलावा 15 अन्य को वांटेड घोषित किया गया, जिनमें से कुछ के पाकिस्तान में होने की बात कही गई। अभियोजन पक्ष ने दावा किया कि यह साजिश पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI और आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने बनाई थी, जिसे भारत में प्रतिबंधित संगठन सिमी की मदद से अंजाम दिया गया था। पाकिस्तान ने हमेशा की तरह इस आरोप को नकारते हुए कहा कि भारत ने कोई ठोस सबूत पेश नहीं किया।

आठ साल तक चली सुनवाई के बाद ट्रायल कोर्ट ने 13 में से 12 आरोपियों को दोषी ठहराया था। जिसमें से पांच को मौत की सजा और बाकियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। मौत की सजा पाए पांच आरोपी में मोहम्मद फैसल शेख, एहतेशाम सिद्दीकी, नवेद हुसैन खान, आसिफ खान और कमल अंसारी, जिनकी 2022 में जेल में COVID‑19 के कारण मृत्यु हो गई थी, शामिल थे।

कानून के अनुसार, राज्य सरकार ने फांसी की सजा की पुष्टि के लिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की। साथ ही दोषियों ने भी अपनी सजा और दोषसिद्धि को चुनौती दी। पिछले साल हाई कोर्ट में विशेष पीठ गठित की गई, जिसने जुलाई 2024 में सुनवाई शुरू की और छह महीने बाद जनवरी में निर्णय सुरक्षित रख लिया। अभियोजन ने इसे "रेयरेस्ट ऑफ द रेयर केस" बताते हुए मृत्युदंड की पुष्टि की मांग की, जबकि बचाव पक्ष ने जांच में गंभीर खामियों का हवाला देते हुए फैसले को चुनौती दी।

बचाव पक्ष ने यह भी दावा किया कि इंडियन मुजाहिदीन (IM) के सदस्य सादिक ने ट्रेन धमाकों की ज़िम्मेदारी ली थी और आरोपी 18 साल से जेल में बंद थे। 22 जुलाई 2025 को बॉम्बे हाई कोर्ट ने सभी दोषियों को बरी कर दिया। कोर्ट ने माना कि कई साक्ष्य संदेह के घेरे में हैं, और दोषियों को संदेह का लाभ मिलना चाहिए। सरकारी वकील उज्ज्वल निकम ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उन्होंने यह केस नहीं लड़ा, लेकिन कोर्ट का फैसला चौंकाने वाला है। उन्होंने पूछा, "अगर आरोपी दोषी नहीं हैं, तो फिर 189 लोगों की हत्या किसने की?" महाराष्ट्र सरकार ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का निर्णय लिया है।