113th Anniversary of Titanic Ship: आज से 113 साल पहले, एक ऐसी ऐतिहासिक और दुखद घटना घटी जिसने पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया। यह घटना इतिहास की सबसे बड़ी समुद्री दुर्घटनाओं में गिनी जाती है। 15 अप्रैल 1912 को उत्तरी अटलांटिक महासागर में टाइटैनिक जहाज एक हिमखंड से टकराकर डूब गया, जिसमें 1500 से अधिक लोगों की जान चली गई।
दरअसल, टाइटैनिक ने अपनी पहली और आखिरी यात्रा 10 अप्रैल 1912 को ब्रिटेन के साउथम्प्टन से न्यूयॉर्क के लिए शुरू की थी। जहाज को ‘अजेय’ माना जाता था और कहा जाता था कि यह कभी नहीं डूब सकता, लेकिन 14 अप्रैल 1912 की रात, यह हिमखंड से टकरा गया। टक्कर के कारण जहाज में बड़ी दरारें पड़ गईं और पानी अंदर भरने लगा।
लगभग 2 घंटे 40 मिनट के संघर्ष के बाद, 15 अप्रैल की सुबह 2:20 बजे, टाइटैनिक पूरी तरह समुद्र में समा गया। इस हादसे के वक्त अधिकतर यात्री गहरी नींद में थे। करीब 1300 यात्री और 900 चालक दल के सदस्य जहाज पर सवार थे। उस समय टाइटैनिक का टिकट भी काफी महंगा था। फर्स्ट क्लास का किराया 30 पाउंड, सेकंड क्लास का 13 पाउंड, और थर्ड क्लास का 7 पाउंड था।
टाइटैनिक को आयरलैंड के बेलफास्ट स्थित हार्लैंड एंड वूल्फ नामक कंपनी ने बनाया था। इस ब्रिटिश भापचालित जहाज की लंबाई 269 मीटर, चौड़ाई 28 मीटर, और ऊंचाई 53 मीटर थी। इसमें तीन इंजन थे और इसकी भट्टियों में हर दिन 600 टन कोयला जलाया जाता था। इस जहाज को तैयार होने में तीन साल लगे और इसकी लागत 15 लाख पाउंड आई थी। यह जहाज 3300 लोगों को ले जाने की क्षमता रखता था।
इस त्रासदी के कई सालों बाद, 1985 में, अमेरिका और फ्रांस की एक संयुक्त टीम ने टाइटैनिक का मलबा 2600 फीट गहराई में खोजा। यह स्थान कनाडा के सेंट जॉन्स से 700 किलोमीटर दक्षिण और अमेरिका के हैलिफ़ैक्स से 595 किलोमीटर साउथ ईस्ट में स्थित है। मलबा दो टुकड़ों में मिला, जो एक-दूसरे से 800 मीटर की दूरी पर थे। इसमें यूएस नेवी की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
टाइटैनिक की याद आज भी दुनिया के कई हिस्सों में विभिन्न कार्यक्रमों और स्मारकों के जरिए मनाई जाती है। यह सिर्फ एक जहाज की दुर्घटना नहीं थी, बल्कि इसने जहाज निर्माण, सुरक्षा नियमों, और मानव इतिहास में गहरे बदलाव लाए। आधुनिक इतिहास की यह सबसे दर्दनाक घटनाओं में से एक बन गई है, जिसने कई कहानियों, फिल्मों और संगीत को प्रेरणा दी।
हाल ही में, एक अमेरिकी कंपनी ने टाइटैनिक टूरिज्म की शुरुआत की थी, जिसमें लोग पनडुब्बी से समुद्र के भीतर जाकर टाइटैनिक के मलबे को देख सकते थे लेकिन इस अभियान के दौरान एक पनडुब्बी हादसे का शिकार हो गई, जिसमें पाँच लोगों की मौत हो गई। आज, 15 अप्रैल को, जब हम टाइटैनिक की 113वीं बरसी मना रहे हैं, यह न केवल एक त्रासदी की याद दिलाता है, बल्कि यह भी सिखाता है कि कोई भी मानव रचना प्रकृति के आगे अजेय नहीं है।